बिपिन रावत जीवन परिचय, सेना पद, एक सपना जो अधूरा रह गया!| Bipin Rawat Biography, Army Carrier, A dream that remained unfulfilled!
तमिलनाडु के कुन्नूर के नीलगिरी जंगलों में भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टर क्रैश होने के बाद का मंजर बहुत ही दर्दनाक था। दुर्घटना की खबर पाते ही बचाव दल घटनास्थल पर पहुंच गया था। कर्मियों ने मलबे से 2 लगों को जीवित निकाल, इनमें से एक जनरल रावत भी थे। जब बचाव दल के सदस्य उन्हें मलबे से बाहर निकाल रहे थे तो धीरे से उन्होंने अपना नाम बताया- "मैं जनरल बिपिन...... "
बचाव कर्मी तुरंत उन्हें चादर में लपेट कर अस्पताल ले गए क्योंकि उनके शरीर का निचला हिस्सा काफी हद तक जल गया था। शरीर के निचले हिस्से में गहरे जख्मों के कारण दे भारत माता का यह वीर सपूत सदैव के लिए सो गया!
Table Of Contents:-
बचपन व प्रारंभिक शिक्षा
सेना सेवा पद
संक्षिप्त जीवन परिचय
मृत्यु
बिपिन रावत का वह सपना जो पूरा ना हो सका!
बचपन व प्रारंभिक शिक्षा | Bipin Rawat's Childhood And Early Education
बिपिन लक्ष्मण सिंह रावत जी का जन्म 16 मार्च 1958 को उत्तर प्रदेश के गढ़वाल, जिला पौड़ी गढ़वाल (इस समय के उत्तराखंड) में हुआ था। इनके परिवार की कई पीढ़ियां भारतीय सेना में अपनी सेवा देती आ रही है। इनके पिता लक्ष्मण सिंह रावत जी भी जनरल के पद से ही सेवानिवृत्त हुए थे और इनकी माताजी उत्तरकाशी विधानसभा के विधायक रह चुके किशन सिंह परमार की पुत्री थी।
बिपिन रावत जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा देहरादून के कैंबरीन हॉल स्कूल और शिमला के सैंट एडवर्ड स्कूल से ली थी। इसके पश्चात उन्होंने खड़कवासला स्थित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में दाखिला लिया। इसके बाद भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून से प्रथम श्रेणी में स्नातक की उपाधि प्राप्त की तथा यहां पर बेहतरीन प्रदर्शन के लिए उन्हें 'सोर्ड ऑफ ऑनर' प्रदान किया गया।
⏺ रावत ने डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज बेकिंगटन से भी स्नातक की शिक्षा प्राप्त की तथा लेवेवर्थ, कंसा में स्थित यूनाइटेड स्टेट आर्मी कमांड एंड जनरल स्टाफ कॉलेज से वर्ष 1997 में उपाधि प्राप्त की।
⏺ इसके बाद रावत जी ने मद्रास विश्वविद्यालय से रक्षा विषय में एम.फिल. की डिग्री ली और कंप्यूटर का डिप्लोमा लिया।
⏺ साल 2011 में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से सैन्य मीडिया अध्ययन के क्षेत्र में इनके शोधों के लिए पी.एच.डी. की उपाधि प्रदान की गई।
सेना सेवा पद | Bipin Rawat's Army Service Posts
Picture Credit: Tweeter #BipinRawatHelicopterCrash
जनरल बिपिन रावत जी ने अपने करियर की शुरुआत वर्ष 1978 में गोरखा राइफल की पांचवी बटालियन से की थी।
⏺ वर्ष 1979 जनवरी में बटालियन सेना विभाग में मिजोरम में प्रथम नियुक्ति हुई।
⏺ नेफा इलाके में बटालियन की सफल अगुवाई की।
⏺ कांगो में संयुक्त राष्ट्र की पीसकीपिंग फोर्स की का नेतृत्व किया।
⏺ 01 सितंबर 2016 को सेना के उप प्रमुख का पदभार संभाला।
⏺ वर्ष 2016, 31 दिसंबर को सेना प्रमुख का पद संभाला।
⏺ वर्ष 2021, 01 जनवरी को भारतीय रक्षा प्रमुख का पद संभाला।
संक्षिप्त जीवन परिचय | Brief Biography Of Bipin Rawat
जन्म- 16 मार्च 1958, गढ़वाल उत्तर प्रदेश (इस समय का पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड)
Picture Credit: Tweeter #BipinRawatHelicopterCrash
गत 8 दिसंबर 2021 को हेलीकॉप्टर क्रैश हादसे में मारे गए सीडीएस जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी श्रीमती मधुलिका रावत जी का निधन हो गया।
⏺ 10 दिसंबर शुक्रवार को उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनकी दोनों बेटियों ने अंतिम संस्कार की विधि की
⏺ 10 दिसंबर को CDS जनरल विपिन रावत व उनकी पत्नी मधुलिका रावत पंचतत्व में विलीन हुए। उनकी बड़ी पुत्री ने मुखाग्नि दी।
⏺ CDS जनरल बिपिन रावत को 17 तोपों की सलामी दी गई।
⏺ उत्तराखंड के CM पुष्कर सिंह धामी ने बरार स्क्वेयर श्मशान घाट पहुंचकर CDS जनरल बिपिन रावत व उनकी पत्नी श्रीमती मधुलिका रावत जी के पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि दी।
⏺ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा- राज्य सरकार शहीद परिवार को 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता व परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देगी।
⏺ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सीडीएस जनरल बिपिन रावत को श्रद्धांजलि अर्पित की
8 दिसंबर को भारत के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत जी व उनकी पत्नी मधुलिका समेत 11 अन्य लोगों का तमिलनाडु के कुन्नूर हेलीकॉप्टर हादसे में निधन हो गया। हालांकि विपक्ष ने इसे संसद में लापरवाही का मुद्दा बनाने का प्रयास किया परंतु सरकार एवं अध्यक्ष महोदय ने ऐसा नहीं होने दिया।
बिपिन रावत का वह सपना जो पूरा ना हो सका! | Bipin Rawat's Dream That Remained Unfulfilled!
Picture Credit: Tweeter Account #BipinRawatHelicopterCrash
जनरल बिपिन रावत उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के सैंण गांव के रहने वाले थे। सेना प्रमुख बनने के पश्चात 29 अप्रैल 2018 को जब वे अपने गांव गए थे। तब उनकी पत्नी मधुलिका भी उनके साथ थी। उस समय उन्होंने कहा था रिटायर होने के बाद वह अपने गांव में ही रहेंगे। परंतु हेलीकॉप्टर हादसे के कारण उनकी यह इच्छा अधूरी ही रह गई!!!
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