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शनिवार, 24 सितंबर 2022

ज्ञान Vs जानकारी- Definition, Difference | Motivational Story, Article

              ज्ञान Vs जानकारी |  Definition | Difference 

      Article, Essay, Note | Motivational Story about Knowledge and information

हैलो दोस्तों!... आज की हमारी बातचीत का विषय है ज्ञान और जानकारी अर्थात Knowledge and Information. 

                         

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                                     Poster- Knowledge and Information

     कई बार इन दोनों शब्दों की एकरूपता और मिलते-जुलते अर्थ होने के कारण  इन दोनों शब्दों को एक ही समझ लिया जाता है । 

 आज के इस ब्लॉग ( www.pushpkiduniya.com) में हम इन शब्दों के शाब्दिक अर्थ और कुछ बिंदुओं पर विचार करेंगे। जिससे इनके सही अर्थ को जाना जा सके। साथ ही एक सरल कहानी के आधार पर जानकारी और ज्ञान में विवेक करेंगे, विभेद करेंगे। तो आइए चलते हैं अगले बिंदु की ओर.... 


TABLE OF CONTENTS:

  1. जानकारी क्या है?
  2. ज्ञान क्या है? 
  3. ज्ञान और जानकारी में क्या अंतर है?
  4. कहानी जानकारी और ज्ञान की! | Motivational, Moral Story in hindi



जानकारी क्या है? | What is information in hindi

     जानकारी का अंग्रेजी शब्द Information है जिसका अर्थ है एकत्रित किया गया डाटा। डाटा को साधारण शब्दों में समझे तो कुछ लोगों, स्थानों आदि से एकत्रित किए गए आंकड़े है। जो कि अक्षरों या प्रतीकों के  रूप में होते हैं। 

                         

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                                    Flowchart- Information

ज्ञान क्या है? | what is knowledge in Hindi

    ज्ञान का अंग्रेजी अर्थ  Knowledge है। जिसका सटीक अर्थ है किसी व्यक्ति वस्तु या  परिस्थिति के विषय में जागरूकता या फिर परिचितता का होना। इस जागरूकता को खोजना, सीखना व मनन के द्वारा समझा जा सकता है। इसे कुछ अवधारणाओं, अध्ययन और अनुभव की समझ के द्वारा अर्जित किया जा सकता है। 

                            

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                                                       Flowchart- Knowledge

     इसे "सरल शब्दों में कहा जाए कि प्राप्त आंकड़ों तथ्यों व अनुभव के आधार पर निकाला गया निष्कर्ष व निर्णय की समझ ही ज्ञान है।"


ज्ञान और जानकारी में क्या अंतर है? | What is the difference between Knowledge and Information in hindi

  1. Knowledge को हिन्दी में  ज्ञान और  Information को हिंदी में जानकारी के नाम से जाना जाता है। 
  2. जानकारी केवल तथ्य व डाटा है जबकि ज्ञान उन जानकारियों के आधार पर निष्कर्ष तक पहुंचने की तर्क व बौद्धिक क्षमता है। 
  3. जानकारी डाटा और संदर्भों का सम्मेलन है जबकि ज्ञान जानकारी सहज बोध और अनुभव का मेल है। 
  4. जानकारी से निर्णय लेने की क्षमता में सुधार होता है  जबकि ज्ञान चेतना को बढ़ाता है। 
  5. जानकारी को दूसरों के साथ बांटा जा सकता है जबकि ज्ञान में सीखना और समझना पड़ता है। 
  6. जानकारी को दोबारा एकत्रित किया जा सकता है लेकिन ज्ञान को बार-बार निर्मित नहीं किया जा सकता। 
  7. किसी चीज को सच मानने के लिए केवल जानकारी होना काफी नहीं है अंतिम निर्णय आपके अनुभव से एकत्रित ज्ञान से ही संभव है। 
  8.  जानकारी के लिए ज्ञान होना आवश्यक नहीं है जबकि ज्ञान के लिए जानकारी होना आवश्यक है। 
  9.  जानकारी व्यष्टि/ एकल है जबकि ज्ञान समष्टि/ समग्र है। 
  10. जानकारी समझ को बढ़ाता है और ज्ञान समझने की क्षमता को बढ़ाता है। 


कहानी जानकारी और ज्ञान की! | Motivational, Moral Story in hindi

   एक बार एक जंगल था उस जंगल में बहुत से कबूतर रहते थे। वहां अब अक्सर बहेलियां आने लगा और दाना डाल कर जाल बिछाकर कबूतरों को पकड़ कर ले जाता। 

                             

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                         Pigeons |  Story- Knowledge and Information

     कबूतरों की घटती संख्या से परेशान होकर कबूतरों का मुखिया चिंतित बैठा था। तभी वहां एक बंदर आया और उसकी चिंता का कारण पूछने लगा। कबूतरों के मुखिया ने सब बात कह सुनाई। कुछ गंभीर मुद्रा में सोचते हुए वह बंदर से बोला कि जंगल के बाहर गांव के पास एक साधु महाराज आए हैं। सुना है वह बहुत ज्ञानी है। इस समस्या का हल उनके पास जरूर होगा। चलो उनके पास चलते हैं। 

     कबूतरों का मुखिया बंदर के साथ साधु से मिलने गया और उनसे सब अपनी आपबीती कह सुनाई। साधु महाराज ने ध्यान की मुद्रा लगाते हुए कुछ समय  पश्चात अपनी आंखें खोली और कबूतरों के सरदार से बोले कि तुम वापस जाओ और सभी कबूतरों को इकट्ठा करके कहना कि अबकी बार जब बहेलिया आएगा तब तुम सब एक साथ एक स्वर में बोलना शुरू कर देना कि... बहेलियां आएगा... दाना डालेगा... जाल बिछाएगा... तुम फंसना मत... बहेलियां आएगा... दाना डालेगा... जाल बिछाएगा... तुम फंसना मत... 

     कबूतरों के सरदार और बंदर ने साधु महाराज को प्रणाम किया और वापस जाकर सभी कबूतरों को इकट्ठा कर यह पंक्तियां कह सुनाई कि जब बहेलिया आएगा तो तुम सबको एक स्वर में एकसाथ इन पंक्तियों को गीत की तरह गुनगुनाना है। 

     अगली बार जब बहेलिया आया तो सभी कबूतरों ने एक साथ इन पंक्तियों को गीत की तरह जोर जर से गाना शुरू कर दिया कि... बहेलियां आएगा... दाना डालेगा... जाल बिछाएगा... तुम फंसना मत...  

जब बहेलिये ने यह पंक्तियां सुनी तो वह परेशान होकर वापस चला गया। अगली सुबह फिर आया। फिर कबूतरों ने उन्हीं लाइनों को गाना शुरू कर दिया। फिर शिकारी वापस चला गया इस तरह चार-पांच दिन बीत गए। अब बहेलिया परेशान हो गया यदि वह पक्षियों को पकड़ेगा नहीं, बाजार ले जाकर बेचेगा नहीं तो उसके परिवार का भरण पोषण कैसे होगा? 

इसी चिंता में वह शिकारी साधु महाराज के पास गया। बोला... मैंने आपके बारे में बहुत सुना है। मेरी दुविधा का कुछ उपाय बताइए। मैं कई दिनों से जंगल में पक्षियों को पकड़ने जा रहा हूं पर मेरे जाते ही वे सब गाना शुरू कर देते हैं कि- बहेलियां आएगा... दाना डालेगा... जाल बिछाए गा... तुम फंसना मत... अब मेरा तो यह कर्म है। यदि मैं उन पक्षियों को पकड़ूंगा नहीं, बाजार ले जा कर बेचूंगा नहीं तो मेरे परिवार का भरण पोषण किस प्रकार होगा?

                                

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                          Bird in net | Story- Knowledge and Information

     साधु महाराज ने सारा वृतांत सुना और बोले... कल तुम जंगल में जाना और पहले की तरह जाल लगाना। जाल लगाकर वापस चले आना शाम को फिर जाल लेने जंगल जाना। इस बार चिड़िया अवश्य फंसेगी। बहेलियां साधु जी को प्रणाम कर धन्यवाद करता वहां से चला गया। पेड़ पर बैठा बंदर यह सब सुन रहा था अगले दिन जब बहेलिये ने जाल लगाया तो फिर से कबूतरों ने वही गाना शुरू कर दिया परंतु बहेलिये ने इन सबको नज़रअंदाज करते हुए दाना डाला, जाल बिछाया और वापस आ गया। शाम को जब वह जाल लेने गया तो देखा कि जाल में बहुत सारे कबूतर फंसे हुए हैं।  वह बहुत खुश हुआ और जाल समेटा तथा पक्षियों को लेकर बाज़ार को गया। जिसकी बहुत अच्छी कीमत उसे मिली। उसने सोचा साधु महाराज को धन्यवाद करना चाहिए। 

       यही सोचकर वह साधु से मिलने गया और बहुत आभार किया। बहेलिये के जाने के बाद पेड़ पर बैठा  बंदर उतर कर नीचे आया और साधु महाराज से पूछने लगा कि महाराज यह सब क्या है? पहले तो आपने पक्षियों को उपाय बताया। फिर बहेलिये को भी जाल लगाने भेज दिया! मेरी समझ में यह नहीं आ रहा कि जब पक्षियों को पता था कि बहेलिया आएगा, दाना डालेगा, जाल बिछाएगा जिसमें वह फंस सकते हैं तो फिर वह कैसे बहेलिये के जाल में फंस गए? 

    साधु जी कुछ मुस्कुराए और बोले कि मैंने कबूतरों को जानकारी दी थी परंतु उन्होंने केवल उसे जाना पर समझा नहीं। जब बहेलिया गया और कबूतरों ने वह गाना गाया तो बहेलिये को लगा कि शायद अब कबूतरों को ज्ञान हो चुका है कि मैं उन्हें पकड़ने आता हूं। अब वे जाल में नहीं फंसेगी। फिर जब बहेलिया मेरे पास आया तो उसकी बातों से मैं समझ गया कि कबूतरों ने इसे केवल एक गीत के रूप में लिया है। ना कि इसके अर्थ को समझ कर अपने ज्ञान मैं शामिल किया है। कबूतरों को जानकारी तो थी कि बहेलिया आएगा और उन्हें जाल में फंसा कर ले जाएगा परंतु ज्ञान नहीं था कि इस से इसका परिणाम क्या होगा? उन्हें ले जाकर बाजार में बेच दिया जाएगा। उनका यह प्यारा जंगल उनसे छूट जाएगा। 

बस यही अंतर है मैंने तो दोनों को उपाय बताया था! 

     एक ने केवल जानकारी के रूप में लेकर अनुसरण किया तथा दूसरे ने ज्ञान के रूप में माना। 

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