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रविवार, 21 नवंबर 2021

Motivational Story in Hindi

Life Quotes | Motivational Quotes | Hindi Quotes

 हम अपने जीवन में आए हुए समय और परेशानियों से कुछ न कुछ अवश्य सीखते है। जिससे हमारे विचार Thought Process बनते हैं। उन्हें हम अपने वक्तव्य  का बना लेते हैं और यदि कहीं उससे जुड़ी कोई बात हम सुनते या पढ़ते हैं तो वह हमारे दिल को छू जाती हैं। इसी तरह के कुछ विचार Quotes  नीचे प्रस्तुत है-

 Table Of Contents:-

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                     Picture- IG: @pushp_ki_duniya

Quote 1 :-

    दुनियां की सबसे कीमती चीज "वर्तमान" है,  जिसे सारी दौलत देकर भी   वापस नहीं लाया जा सकता! 

भाव

    हम जीवन की भाग दौड़ में, परेशानियों में अपने आज को जीना भूल जाते हैं। केवल मन में यही चिंता सताती रहती है कि कल क्या होगा, कल क्या होने वाला है, कैसे हम आने वाली परेशानियों का सामना करेंगे। 
   जबकि भविष्य तो अनिश्चित है उसके बारे में हम केवल अंदाजा लगा सकते हैं। वह परोक्ष है परंतु वर्तमान तो समक्ष है, हमारे सामने हैं। हम जैसा चाहे उसे बना सकते हैं। यदि अभी के पल को खुशी और मुस्कान के साथ जिएंगे तो यही हमारी अच्छी यादें बन जाएंगे और यदि इसे अनिश्चित चिंता मैं गवां देंगे तो यही हमारी निरर्थक चिंताओं का आधार बन जाएंगे।
 एक कहावत है की हमें अपनी कार्यकुशलता को बढ़ाने के लिए प्रजेंट में रहना चाहिए। प्रजेंट में रहने से तात्पर्य है यह है कि जिस कार्य को हम अभी इस घड़ी में कर रहे हैं, हमारा सारा ध्यान उस पर केंद्रित होना चाहिए अर्थात यदि हम पानी पी रहे हैं तो हमारा ध्यान उस जल उस जल को पीने से मिलने वाली शीतलता तृप्ति पर होना चाहिए। पर क्या ऐसा होता है? जब हम कोई भी कार्य करते हैं तो हमारे दिमाग में बहुत सारे विचारों की उधेड़बुन चलती रहती है। जिससे हम प्रजेंट में नहीं रहते..... हमारी सारी एनर्जी प्रजेंट में न रहकर बिखर जाती है। पूरे यूनिवर्स में एनर्जी ही हैं जो इसका संचालन करती है। जिससे हमारा भविष्य निर्धारित होता है। 

कहानी | Story

          मुल्ला नसरुद्दीन का नाम आप सबने सुना ही होगा। मुल्ला नसरुद्दीन बहुत ही बुद्धिमान व्यक्ति थे। वह बड़ी से बड़ी उलझन को अपने व्यंग्यात्मक अंदाज में सुलझा लिया करते थे। कुछ लोग उनको मसखरा समझते थे तो कुछ बेवकूफ। तुर्की में उनका बहुत आदर था।       एक बार राजा ने मुल्ला नसरुद्दीन की परीक्षा लेने के विचार से अपने दरबार में बुलाया और कहा कि मैंने तुम्हारा बहुत नाम सुना है। क्या तुम मेरे गधे को पढ़ा लिखा सकते हो?... मुल्ला नसरुद्दीन सोच में पड़ गए फिर कुछ सोचकर बोले... जी महाराज, पढ़ा सकता हूं। महाराज ने कहा- मैं कैसे मान लूं  कि तुम यह काम कर सकते हो।
    मुल्ला नसरुद्दन ने कहा कि आपको मुझे एक लाख सोने की मोहरें देनी होंगी और मैं 10 साल में आपक गधे को पढ़ा लिखा कर ले आऊंगा। राजा ने कहा ठीक है हम तुम्हें एक लाख सोने की मोहरें दे देंगे परंतु तुम्हें गधे को पढ़ा कर लाना होगा नहीं तो तुम्हें कारावास में डाल दिया जाएगा। मुल्ला नसरुद्दीन ने कहा ठीक है महाराज। 
    मुल्ला नसरुद्दन ने खुशी-खुशी 1,00,000 सोने के सिक्कों की बोरी को अपने गधे पर रखा और राजा के गधे को लेकर अपने घर आ गए। 
घर पर उनके एक मित्र बैठे थे। उन्होंने मुल्ला नसरुद्दीन से कहा कि अरे तुमने यह क्या कर दिया। तुम पूरी जिंदगी लगाकर भी इस गधे को नहीं पढ़ा सकते। 
    मुल्ला नसरुद्दीन ने कहा कि 10 बरस बहुत बड़ा समय होता है। तब तक हो सकता है इस गधे की मृत्यु हो जाए... या राजा की मृत्यु हो जाए... या मेरी मृत्यु हो जाए। 10 क्यों चलो 8 बरस ही ले लेते हैं। 8 बरस के बाद भी मेरे पास सोचने के लिए 2 बरस होगा होंगे कि अब आगे क्या करना है? 
    दोस्त ने कहा कि फिर भी 10 बरस बाद तो यह पैसे तुम्हें वापस करने होंगे। तब क्या करोगे?... 
   तब मुल्ला नसरुद्दीन ने कहा कि 10 बरस बहुत लंबा समय होता है। मुझे इन पैसों पर कोई ब्याज तो देना नहीं है तुरंत ही इन्हें व्यापार में लगा दूंगा। तब तक यह पैसे कई गुना बढ़ जाएंगे। "वर्तमान में जीना सीखो दोस्त!!"
  वैसे तो यह कहानी हास्यास्पद लगती है परंतु एक बहुत ही गहरी सीख भी देती है कि वर्तमान में जो भी साधन आपके पास उपलब्ध है उन्हीं का अच्छे से प्रयोग करें, परिश्रम करें। यदि आपने, अपने वर्तमान को सुंदर बना लिया तो भविष्य तो स्वयं ही सुंदर बन जाएगा। 


 Quote 2 : कर्म | Karma Quotes


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                     Picture- IG: @pushp_ki_duniya

Quote-  "हमारे प्रारब्ध हमारी नियति निर्धारित करते हैं!!!"


शब्दार्थ- 
         👉प्रारब्ध= पिछले जन्म के कर्म भार,  Past Life Karma
Baggage

         👉 नियति= नियत होने की अवस्था, Destiny 
 

भाव - 

 हम जो भी कर्म करते हैं अच्छे या बुरे वह सब हमारे कर्मों की पुस्तक में लिखा जाता है। जो भावना कार्य करते समय हमारे मन में होती हैं, उसी के अनुसार हमें उसका फल प्राप्त होता है। यह यदि इस जन्म में वह कर्म भार पूरा नहीं हो पाता तो उसका बोझ हमें आने वाले अगले जन्म में भी ढोना होता है। 
   जो भी परेशानियां हमें ईश्वर में इस जीवन में देता है, वह हमारे लिए एक सबक की तरह होता है। हम जितने जल्दी उसे सीख लेते हैं, उतनी जल्दी वह पाठ हमारे लिए समाप्त हो जाता है। यदि हम उससे कोई सीख नहीं लेते हैं तो वही परेशानियां हमारे जीवन में बार बार (pattern repeatation) आती है। इसलिए आने वाली परेशानियों से घबराने की बजाए उसके औचित्य, यथार्थ, मिलने वाले सबक और कारण को सोच कर अपने कर्मा पैटर्न को तोड़कर हम अपना जीवन सुधार सकते हैं। 

कहानी | Story

         एक गाँव में एक पंडित जी रहते थे। एक व्यक्ति अपना पत्रा दिखाने उन पंडित जी के पास गया। वे कहीं बाहर गए हुए थे। घर पर पंडिताइन जी थी। पूछने पर पता चला पंडित जी थोड़ी  देर  में आने वाले है। पंडिताइन ने बैठने को कहा और भीतर चली गई। 

  कुछ समय के इंतजार के बाद पंडित जी जब वापस आए तो घर के भीतर से पंडिताइन जी की आवाज आई। जो पंडित जी को खूब खरी-खोटी सुना रही थी। 

गईहै जजमानी करके, पूरे दिन तो एड़ियाँ घिसत हौ फिर भी इस घर की गत देखत नाहीं जात! जानै कौन दशा लिखत रहियै हमार भाग में जो तुमसे बियाह हुआ! (उलाहना देते हुए) 

 व्यक्ति बाहर बैठा यह सब सुन रहा था। 

   मुंह हाथ धो जब पंडित जी बाहर आए व्यक्ति से आने का प्रकरण पूछा। व्यक्ति ने अपना पत्रा दिखाया। पत्रे से संबंधित  सब जानकारी पा लेने के बाद उस व्यक्ति से जब ना रहा गया तो उसने पंडित जी से पूछा- पंडित जी आपकी पत्नी इतनी कर्कशा है आप कैसे निबाह करते हैं?... बुरा ना मानिएगा। मेरे मन में आया तो मैंने प्रश्न कर लिया। 

       व्यक्ति की बातें सुनकर पंडित जी मुस्कुरा दिए। बोले यह तो मेरे प्रारब्ध का फल है। पिछले जन्म में मेरी पत्नी एक गाय थी। उसकी पीठ पर एक भयानक घाव था। जिस से राहत पाने के लिए वह नदी के पानी में अपने घाव को धोने बैठी हुई थी... और मैं उस जनम में एक कौवा था। मैं उसके खुले घाव को देखकर उस पर  बार-बार चोंच मारने लगा जिससे उसकी आत्मा तक कराह उठी। पर मैंने वह चोट करना नहीं छोड़ा।

      अंत में एक बार ऐसा हुआ कि मेरी चोंच उसके घाव के भीतर फंस गई। जो निकालने से भी नहीं निकल पा रही थी। इस तरह से मेरे कुरेदे हुए घाव के भयानक दर्द से उस गाय की मृत्यु हो गई... और उस घाव में मेरी चोंच के फंसे होने से कुछ समय बाद मेरी भी मृत्यु हो गई। तो सोचो उसे कितनी तकलीफ हुई होगी उस समय। उस दर्द के हिसाब से तो यह तकलीफ कुछ भी नहीं है। 

"सब कर्मा का खेला है!" हमारा किया कहीं नहीं जाता। सबका हिसाब बराबर होता है। उसके तराजू में सब बराबर है। 

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