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शनिवार, 31 जुलाई 2021

Wo Koi Aur Thi - Hindi Kavita (woman empowerment)


वो कोई और थी- हिंदी कविता | Best Hindi Poem on Woman


     दोस्तों मैं आपकी दोस्त पुष्प की दुनियां/ पुष्पा राज आज आप सभी लोगों के समक्ष एक स्वरचित कविता लेकर उपस्थित हुई हूँ। जिसका नाम है- "वो कोई और थी" इस कविता के माध्यम से मैं आप सभी का ध्यान एक भावना की अभिव्यक्ति की ओर ले जाना चाहूंगी कृपया साथ दीजिएगा। 

TABLE OF CONTENTS:-


   भूमिका | Basis of The Poem


    यह इस समाज की मेरी आंखों देखी एक घटना पर आधारित काव्य प्रस्तुति है। समाज के कितने चेहरे हैं, कितनी भावनाएं हैं,।मुखौटो पर मुखोटे हैं और उस पर भी मुखोटे हैं। बाहर कुछ और है, अंदर कुछ और है। बाहर यह दिखाया जाता है कि कितना खुशहाल परिवार है और अंदर किसी की इच्छाएं, स्वप्न दम तोड़ रहे होते हैं। उन सपनों की दम तोड़ती सांसों की नींव पर एक झूठी सी इमारत खड़ी की जाती है। उस पर भी यह भुलावा दिया जाता है की यही खुशहाली का दूसरा रूप है। एक पक्ष खुश है परंतु क्या दूसरा पक्ष खुश है?... इसकी सुध लेने की भी आवश्यकता नहीं समझी जाती। 
    मतों में भेद है, विचारों में टकराव है पर दिखावे की खुशहाली है। दीन-दुनिया के संस्कार हैं। चुप्पी तोड़ी तो बुरी बन जाओगी। जमाने की नजरों में आ जाओगी। चुप रहो... बस चुप रहो। 
हमेशा अंकिता से यही कहा जाता रहा। जी हां आज की यह कहानी है, हमारे ही समाज की एक अंकिता की। 

अंकिता की कहानी | Story of Ankita

      इच्छाएं तो दोनों की होती है। फिर एक क्यों चुप रहे?.. पर उस दिन वह बोली और खूब बोली... क्या खूब बोली! 
सभी देखकर हतप्रभ थे, विस्मित थे और आशंकित भी थे। इसके भी मुंह में जबान थी?... क्या यह बोल भी सकती थी?... पर उस दिन वह बोली और अपने मन के सभी भावों को उड़ेल कर रख दिया। 

  वह बुरी बनी, सब की आलोचना का केंद्र बनी। सबकी त्योंरियां चढ़ी थी, कनखियों से उस पर ही नजर पड़ी थी... उसे पतिता कहा गया, पथ भ्रमिता कहा गया...
 वह चुप रही, सोचा अब बोल कर जवाब नहीं देगी। कुछ साबित करके जवाब देगी। वह बन गई जो उसे बनना था और तब जमाने ने कहा- वाह! यह तो वही है जिसे हम जानते थे। ये जरूर एक दिन कुछ करेगी, हमें तो पहले से पता था!

तो यह थी उस पथ भ्रमिता, अंकिता की कहानी (story)। जो मेरे सामने की घटित एक घटना पर आधारित है। पर यह समाज में हर जगह कहीं कहीं न कहीं घटित हो रहा है। क्या आपके आसपास भी ऐसा कुछ है जो भीतर कहीं समाज की परतों में दबा हुआ है??? 

 वो कोई और थी!- हिंदी कविता | Wo Koi Aur Thi- Hindi Kavita



                                               Hindi poetry on women's strength  |  hindi poetry on women's day


निष्कर्ष | Findings

आज की यह घटना आधारित काव्य प्रस्तुति ( poetry on women's empowerment) आपको कैसी लगी? कमेंट करके अवश्य बताइएगा क्या अंकिता को केवल घर संभालना चाहिए था?.... क्या अपने सपनों को तज कर, त्याग कर केवल और केवल गृहस्थी में रमना चाहिए था?... या अपने सपनों को प्राथमिकता देनी चाहिए थी?....
मैं तो कहूंगी क्यों नहीं अंकिता दोनों कर सकती?... वह नारी है, नारायणी है, वह जननी है और वह अन्नपूर्णा भी है।  लोगों को उसकी केवल दो भुजाएँ दिखाई देती हैं परंतु वह इससे अधिक सक्षम है। 
 क्यों, है ना??? 



 


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