प्रिय का खत
नमस्कार दोस्तों,
कैसे हैं आप सभी..... आशा करती हूं बहुत अच्छे होंगे और अपने अपने घरों पर रहकर अपने परिवारजनों के
साथ अच्छा समय बिता रहे होंगे।
मैं आपकी दोस्त आज आपके सामने उपस्थित हुई हूं एक नया विषय लेकर.... जो है खत... प्रिय ने अपने
प्रियतमा को खत लिखा.... खत में प्रियतम में अपनी प्रेयसी को ऐसा क्या लिखा की पढ़ते ही सहसा उसके मुख से
निकला- "खत में तुमने क्या लिखा''...
जब किसी प्रियतमा को उसके प्रिय के खत का इंतजार रहता है और उसका खत आ जाए तो उसके क्या मनोभाव
होंगे, हृदय में क्या हलचल होगी?.....
उसकी मन: स्थिति होगी...
उसका मन केवल अपने प्रियतम के खत के आने की कल्पना मात्र से मयूर के समान नाचने लगता
है..... खुशी से झूमने लगता है..... चाहे कोई भी मौसम हो उसके लिए वह वसंत बन जाता है...... ह्रदय में प्रेम की
हिलोरे उठने लगती है।
और जब खत आ जाता है तो वह उसे अपने हाथों में ले अनेकोंनेक सपने बुनने लगती है..... प्रिय को खत के
रूप में अपने पास मानकर उसकी धड़कन थम सी जाती है ..... वह जानने को उत्सुक हो जाती है की आखिर प्रिय
ने इस खत में उसके लिए क्या संदेशा भेजा है?.... वह खुद आने वाले हैं या मुझे बुलाया है?....
जब वह खत पढ़ती है.....
परंतु जब वह खत को पढ़ती है तो मानो उस पर वज्रपात सा होता है..... होंठ सूखने लगते हैं और आंखों से अश्रु
धारा बह निकलती है....
यह क्या लिखा तुमने.... ? अलविदा....? बिना कोई कारण दिए.... मेरी भूल तो बताते जाते....?
बस कह दिया अलविदा और कहा- 'नई मंजिल की ओर चल दिया मैं.... तुमसे दूर..... बहुत दूर....'
प्रियतमा पर क्या बीती?
तुम कैसे.... इतने ..... पाषाण ह्रदय हो सकते हो....? एक पल के लिए भी तुम्हें हमारे साथ बिताए पलों की याद
नहीं आई... वो साथ मिलकर किए सात जन्मों तक के वादे कैसे याद ना आए.... बोलो कैसे याद ना आए ...??????
आखिर किस प्रकार तुमने इस खत को अपना आखिरी खत कह कर मुझसे सारे रिश्ते नाते, सारे बंधन तोड़
लिए.... तुम मेरे इन प्रश्नों के लिए जवाबदेह हो, तुम इस तरह नहीं जा सकते....!!!
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https://youtu.be/aK1O8VKcwYU
आज का यह अंक आपको कैसा लगा?... मुझे अपने विचार कमेंट कर बताएं ताकि मैं इसी प्रकार की और रचनाएं
आप तक पहुंचा सकूं....
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