रक्षाबंधन 2021- शुभ मुहूर्त, पौराणिक कथाएं एवं उपहार सुझाव | Rakshabandhan 2021- Auspicious Time, Mythology & Gift
TABLE OF CONTENTS:
शुभ मुहूर्त योग-
474 साल बाद रक्षाबंधन पर इस वर्ष 2021 में बन रहा है गजकेसरी योग का शुभ संयोग।
हमारे सनातन हिंदू धर्म के अनुसार रक्षा बंधन हर साल श्रावणमस (सावन के महीने) में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 22 अगस्त 2021 रविवार
को मनाया जाएगा।
इस साल रक्षाबंधन के दिन शुभ संयोग भी बन रहे हैं। इन मुहूर्त और संयोग से जुड़ी और अधिक जानकारी को आगे जानते हैं..
शुभ संयोग
1. शोभन योग- सुबह 6:15 मिनट से 10:34 मिनट तक शोभन योग रहेगा। यह एक शुभ योग है जिसमें सभी प्रकार के मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं। शोभन योग काल- 21 अगस्त 12:54 pm से लेकर 22 अगस्त 10:35 am तक रहेगा।
2. धनिष्ठा नक्षत्र- धनिष्ठा नक्षत्र 22 अगस्त की शाम 7:39 मिनट तक रहेगा। धनिष्ठा का स्वामी ग्रह मंगल माना गया है इसलिए इस नक्षत्र के समय काल में सभी प्रकार के मंगल कार्य किए जा सकते हैं। यह शोभन योग काल 21 अगस्त को 8:21 pm से लेकर 22 अगस्त 7:39 pm तक रहेगा।
3. गजकेसरी योग- इस वर्ष रक्षाबंधन का त्योहार राजयोग में मनाया जाएगा। इस रक्षाबंधन पर चंद्रमा कुंभ राशि में रहेंगे और साथ ही गुरु भी कुंभ राशि में ही वक्री चाल में रहेंगे। गुरु चंद्रमा की युति के कारण ही इस वर्ष 2021 के रक्षाबंधन पर गजकेसरी योग बन रहा है। यह गजकेसरी योग कार्यों में विजय दिलाने वाला तथा सुख व समृद्धि देने वाला माना जाता है। इस योग के दौरान किए गए सभी कार्यों के परिणाम अच्छे होने की संभावना रहती है।
राखी बांधने का शुभ समय
1. ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 4:35 से लेकर 5:21 तक है।
2. अभिजीत मुहूर्त- प्रातः 11:57:51 से लेकर दोपहर 12: 49:52 तक है।
3. अमृत काल- प्रातः 9:34 से लेकर 11:07 तक है।
4. ज्योतिष आचार्य के अनुसार 22 अगस्त को सुबह 5:50 मिनट से लेकर शाम 6:30 मिनट तक चौघड़िया देख कर राखी बांधी जा सकती है।
इस समय राखी ना बांधे
राहुकाल- 17:16 मिनट से लेकर 18:54 मिनट तक में
दुष्ट मुहूर्त- 17:10 मिनट से लेकर 18 2 मिनट तक में
राखी बांधते समय किस दिशा में मुख रखना चाहिए व कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?
राखी बांधते समय किस दिशा में मुंह करके बैठना चाहिए तथा कौन से मंत्र का उच्चारण करना चाहिए। यह जानना अति आवश्यक है, जिससे इसके फल में वृद्धि हो और शुभता आए। इस बारे में दो मुख्य मंत्र हैं आइए जानते हैं इनके बारे में-
1. येन बद्धो बलबली राजा दानवेंद्रो महाबल:
तेन त्वां अभिबन्धामि रक्षे मा चल मा चल ।।
√. यदि भाई को बहन पश्चिम में मुख करके ललाट (माथे) पर रोली, चंदन तथा अक्षत (चावल) का तिलक (टीका) लगाते हुए इस मंत्र का उच्चारण करती है तो शुभता में वृद्धि होती है।
√. शास्त्रों में बताया गया है कि रक्षा सूत्र बांधते समय ऊपर दिए गए मंत्र का जाप करने से अधिक फल मिलता है।
√. भाई का मुख राखी बांधते समय पूर्वाभिमुखि (पूर्व दिशा की ओर) मुख करके बैठे साथ ही बहन का मुख पश्चिम दिशा की ओर हो तो इसे शुभ माना गया है। इसके पश्चात भाई के माथे पर टीका लगाकर दाहिने हाथ (right hand) पर राखी बांधते हुए ऊपर दिए मंत्र का उच्चारण करें।
2. येन बुद्धो बलीराजा दानवेंद्रो महाबल:
तेन त्वां रक्षबंधामि रक्षे मा चल मा चल
√. यदि कोई शिष्य/ शिष्य (student) अपने गुरु को राखी बांध रहे हैं तो ऊपर दिए गए दूसरे मंत्र का उच्चारण करते हुए राखी बांधे।
ध्यान से देखने पर दोनों मंत्रों के मध्य अंतर प्रतीत ज्ञात होगा।
रक्षाबंधन से जुड़ी 4 रोचक बातें व प्रसंग जो आपको हैरान कर देंगी
1. राखी का नाम प्राचीन नाम (उद्भव)- कहा जाता है कि राखी को पहले समय में रक्षा सूत्र कहा जाता था। जो वेदों में संस्कृत शब्द रक्षिका का अपभ्रंश रूप है। मध्यकाल तक आते-आते इसे राखी कहा जाने लगा।
2. रक्षा सूत्र- राखी बांधने की परंपरा वैदिक काल से ही चली आ रही है। जब कोई राजा या व्यक्ति यज्ञ, युद्ध या फिर आखेट (शिकार) के लिए जाते थे तो रक्षा की संकल्पना करते हुए इसे बांधा जाता था। इसके अलावा धार्मिक अनुष्ठानों के समय कलाई पर सूत्र, धागा, मौली या कलावा बांधा जाता था। जो चलन आज के समय में भी यथावत है।
3. रक्षा सूत्र का बदलता रूप- प्राचीन समय में सूत्र का धागा सूत से बना होता था। फिर एक फुदना जैसे सूत्र बांधने का प्रचलन आया। उसके पश्चात पक्के धागे पर फॉम चिपका कर फूल का आकार दिया गया जो राखी कहलाई। आज भी इसके कई रूप है। यह कच्चे सूत से लेकर रंगीन धागे, कलावे, रेशमी धागे यहां तक कि सोने-चांदी की भी मिलने लगी है।
4. अलग प्रांत अलग नाम- हर प्रांत में राखी के नाम में परिवर्तन होता गया। प्राचीन समय में श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाने के कारण इसे सलूनो, श्रावणी या राक्ष कहते थे। हर प्रांत में इसके नाम में परिवर्तन होता चला गया। जैसे कि दक्षिण में नारियय पूर्णिमा और अवनी, अवित्तम तथा राजस्थान में रामराखी, चूड़ाराखी या लुंबा बांधने का रिवाज बना। राम राखी में लाल धागे में पीले छींट का एक फुदना लगा होता है।
प्रचलित पौराणिक कथाएं
1. इंद्र की पत्नी इंद्राणी (शचि) - भविष्य पुराण के अनुसार जब देव व असुरों में युद्ध शुरू हुआ तब असुरों का पलड़ा देवों से भारी होने लगा। तब इंद्र चिंतित हो ऋषि बृहस्पति के पास गए। ऋषि वृहस्पति के सुझाव से इंद्र की पत्नी इंद्राणी ने मंत्रों की शक्ति से पवित्र कर रक्षा का एक सूत्र (धागा) अपने पति की कलाई पर बांधा। जिसके पश्चात देवताओं की विजय हुई। संयोगवश व श्रावण मास की पूर्णिमा का ही दिन था। कहा जाता है कि तभी से पत्नियां अपने पति की कलाई पर उनकी विजयी होकर लौटने की कामना से रक्षा सूत्र बांधने लगी।
2. राजा बली- राजा बली के कारण रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है स्कंद पुराण, पद्म पुराण और श्रीमद भगवत पुराण के अनुसार जब विष्णु जी ने वामन अवतार लेकर राजा बलि से तीन पग धरती मांगी और राजा बली को पाताल लोक का राजा बना दिया तब राजा बलि ने भी विष्णु जी से एक वचन लिया था। दिन- रात अपने सामने रहने का। भगवान विष्णु वचन के आधीन हो पाताल लोक में बली की सेवा करने लगे। जबकि वामन अवतार के बाद उन्हें लक्ष्मी जी के पास वापस जाना था। जिससे कि लक्ष्मी जी चिंतित हो गई और नारद जी के उपाय बताने पर उन्होंने राजा बलि को रक्षा सूत्र बांधकर भाई बनाया तथा अपने पति विष्णु जी को अपने साथ ले आई। उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा थी। इसीलिए आज भी रक्षाबंधन पर राजा बली की कथा सुनने का प्रचलन है और तभी से इस त्यौहार को मनाया जाने लगा।
3. द्रौपदी प्रसंग- एक बार जब भगवान श्री कृष्ण के हाथ में चोट लगने के कारण खून बहने लगा तो द्रौपदी जी ने अपनी साड़ी के आँचल को फाड़कर श्री कृष्ण के हाथ पर बांध दिया था। जिससे खून बहना रुक गया। कुछ समय के बाद जब दुशासन द्वारा द्रौपदी का चीरहरण किया जा रहा था। तब श्री कृष्ण ने अपने रक्षा सूत्र (राखी) का मान रखते हुए द्रौपदी जी की लाज बचाई थी यह प्रसंग भी रक्षाबधन की महत्वता को बताता है।
4. युधिष्ठिर और श्री कृष्ण प्रसंग- कहा जाता है कि जब युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से पूछा कि मैं अपने सभी संकटों से कैसे पार पा सकता हूं। तब श्री कृष्ण जी ने उनकी तथा उनकी सेना की रक्षा के लिए उन्हें रक्षाबंधन का त्यौहार मनाने की सलाह दी थी।
इस रक्षाबंधन भाई दे सकते हैं ये उपहार
रक्षाबंधन का पावन त्योहार भाई और बहन के प्रेम का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी दीर्घायु, आरोग्यता के लिए कामना करती हैं। भाई अपनी बहनों की रक्षा का वचन देते हैं।
यह एक ऐसा रिश्ता है जिसमें नोक-झोंक चलती रहती है। कभी उलझती है, तो कभी सुलझती है और यही इस रिश्ते की खूबसूरती भी है।
हर भाई अपनी बहन को कुछ अनोखा (uniqe) गिफ्ट करना चाहता है। तो आइए जानते हैं कि भाई अपनी बहनों को क्या गिफ्ट दे जो केवल एक दिन के लिए नहीं बल्कि हमेशा के लिए यादगार बन कर खुशी दे जाए।
1. SIP (Systematic Investment Plan)- हर व्यक्ति अपने तरीके से निवेश (इन्वेस्टमेंट) करता है। इसके लिए SIP एक बेहतर विकल्प है। इसके लिए बहनों से विचार कर SIP शुरू की जा सकती है। जो कि मामूली सी राशि रु 500 से शुरू हो जाती है। हर महीने आपके अकाउंट से ₹500 कट जाएंगे। वह दिन भी आप अपने हिसाब से चुन सकते हैं। जैसे 1 से 30 तारीख के बीच।
2. वन टाइम इन्वेस्टमेंट- आप एसआईपी से अलग एकमुश्त (One Time Investment) जमा राशि कर के भी शेयर या फिर फंड्स (shares or funds) में निवेश कर सकते हैं। जो ₹1000 भी हो सकती है।
3. किताबें- यदि आपकी बहन को पढ़ने का शौक है तो दो तीन किताबें उनकी पसंद की भेंट कर सकते हैं। आज टेक्नोलॉजी का जमाना है तो 1 महीने का सब्सक्रिप्शन भी भेंट स्वरूप दिया जा सकता है। जो 1 महीने तक कई सारी किताबें पढ़ने का एक्सेस देता है एक्सेस देता है।
4. ओ टी टी प्लेटफार्म सब्सक्रिप्शन ( O T T Platform Subscription)- जी हां कोरोना के कारण वेब सीरीज का क्रेज बहुत अधिक बढ़ गया है। आप चाहे तो अपनी बहन को एक महीने का ओटीटी प्लेटफॉर्म सब्सक्रिप्शन भी गिफ्ट कर सकते हैं।
5. शॉपिंग वाउचर- इस राखी पर आप अपनी बहन को गिफ्ट स्वरूप में शॉपिंग वाउचर (Shoping Vaucher) भी दे सकते हैं। यह एक अच्छा विकल्प है क्योंकि वैसे भी लड़कियों को शॉपिंग करना बहुत पसंद होता है।
6.मेकअप किट- आज का ट्रेंड काफी बदल चुका है। ऐसे में आप किसी भी अच्छी वेबसाइट से अपनी बहन के लिए मेकअप किट भी आर्डर कर उसे गिफ्ट कर सकते हैं और राखी के अवसर पर तो लगभग सभी वेबसाइट पर राखी स्पेशल ऑफर निकाले जाते हैं।
7. पर्सनलाइज्ड गिफ्ट- जी हाँ, आप अपनी बहन की पसंद और रुचि को ध्यान में रखकर उनके लिए एक खास (Customized) गिफ्ट भेंट कर सकते हैं। जिसे पाकर वह अवश्य खुश होगी। उदाहरण के लिए किसी शो पीस या ज्वैलरी (आर्टिफिशियल/ सोना) पर उसका नाम या फिर एक शुभकामना संदेश लिखकर दिया जा सकता है।
F A Q :-
Q.1. रक्षाबंधन कब है?
Ans. रक्षाबंधन का त्योहार इस साल 22 अगस्त 2021 को मनाया जाएगा।
Q. 2. रक्षाबंधन कब मनाया जाएगा?
Ans. हिन्दू धर्म का प्रमुख त्योहार रक्षाबंधन सावन के महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है।
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