केरल के ब्रेस्ट टैक्स के विरोध में हंसिए से काट दिए स्तन: साहसी नांगेली की कहानी Kerala Breast Tax History in Hindi |
वीरांगना नांगेली की तस्वीर |
वर्ष 2013 में एक ऐसी खबर आई। जिसने पूरी दुनियां का ध्यान अपनी ओर खींचा। हॉलीवुड की मशहूर एक्ट्रेस एंजलीना जॉली ने मस्टेकटॉमी सर्जरी के जरिए अपने स्तन हटवा दिए। ब्रैस्ट जिसे भारतीय व पाश्चात्य में भी स्त्री की सुंदरता से जोड़कर देखा जाता है। एंजलीना ने अपनी सर्जरी को इतना गुप्त रखा कि उनके पिता व परिवार के अन्य सदस्यों को भी यह बात मीडिया के द्वारा पता लगी। सभी हैरान थे, असमंजस में थे कि एंजलीना को ऐसा कदम क्यों उठाना पड़ा?
दरअसल उन्हें अपने शरीर में स्तन कैंसर (breast cancer) का खतरा पैदा करने वाले बीआरसीएल 1 जीन (brca1 gene) का पता चला था। वर्ष 2007 में एंजलीना ने गर्भाशय के कैंसर के कारण अपनी मां को खो दिया था और अब वे नहीं चाहती थी कि उनके बच्चे भी उन्हें खो कर उस दर्द से गुजरें।
यह कहानी थी एंजलीना की... अब बात करते हैं भारत की महान वीरांगना नांगेली (nangeli) की... जी हां आज का ब्लॉग उस नांगेली की है। जिसने अपनी जाति को एक कुप्रथा से मुक्त कराया। उसने अपनी अस्मिता को बचाने के लिए अपने स्तन काटकर टैक्स (breast tax) स्वरूप भेंट कर दिए। आगे पढ़िए....
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क्या था स्तन टैक्स? | What is breast tax?
सन 1927 में मद्रास प्रेसीडेंसी में त्रावणकोर साम्राज्य की स्थापना हुई थी। राजा मार्थड वर्मा थे। साम्राज्य बना तो साथ ही नए नियम - कानून बने। टैक्स सिस्टम लाया गया। आज के हाउस टैक्स, सेल्स टैक्स, एसटी की ही तरह एक टैक्स लगाया गया स्तन टैक्स।इसका एकमात्र उद्देश्य था दलित व निम्न वर्ग को और नीचा दिखाना। अतः यह टैक्स दलित और ओबीसी वर्ग की महिलाओं पर लगाया गया।
जितना बड़ा स्तन उतना बड़ा टैक्स
त्रावणकोर में महिलाएं केवल कमर तक कपड़े पहन सकती थी। अफसरों तथा ऊंची जाति के लोगों के सामने से वे जब भी गुजरती, उन्हें अपनी छाती खुली रखनी पड़ती थी। यदि महिलाएं अपनी छाती ढकना चाहती तो भी नहीं ढक सकती थी। ऐसा करने के लिए उन्हें ब्रेस्ट टैक्स देना होता था।
इसके 2 नियम थे जिसका ब्रेस्ट छोटा उसे कम टैक्स और जिसका ब्रेस्ट बड़ा उसका ज्यादा टैक्स। इसका नाम था मूल्याक्रम टैक्स।
पुरुषों के लिए नियम
यह दकियानूसी रिवाज सिर्फ महिलाओं पर ही नहीं बल्कि पुरुषों पर भी लागू था। उन्हें सर ढकने की इजाजत नहीं थी। अगर वे सर पर कपड़ा पहनना चाहे या सर उठा कर चलना चाहे तो इसके लिए उन्हें अलग से टैक्स देना पड़ता था।
यह कर व्यवस्था ऊंची जाति को छोड़कर सभी जातियों पर लागू थी। परंतु निम्न व दलितों पर इसकी मार सबसे ज्यादा पड़ी। वे सबसे अधिक प्रताड़ित हुए।
महिलाएं यदि छाती ढकती तो कपड़े को चाकू से फाड़ देते थे
नादर वर्ग की महिलाएं यदि छाती को कपड़े से ढकती तो यह खबर राजपुरोहित तक पहुंच जाया करती। पुरोहित हमेशा अपने साथ एक लंबी लाठी लेकर चलता। जिसके एक सिरे पर एक चाकू बंधा होता था। वह उससे स्त्री के ब्लाउज को फाड़ देता और उस कपड़े को पेड़ पर टांग देता। यह एक प्रकार का संदेश था दूसरों के लिए कि आगे से कोई ऐसी हिम्मत ना कर सके।
नादर वर्ग की नांगेली ने हिम्मत दिखाई
19वीं शताब्दी की शुरुआत में चेरथला में नांगेली नाम की एक महिला ने तय किया कि मैं अपने स्तन ढकूंगी पर टैक्स नहीं दूंगी। नांगेली स्वाभिमानी थी। उसे यह बात नागवार थी कि उसे दूसरे पुरुषों के सामने अपने स्तन खुले रखने पड़े।
यह बात जब सामंतो तक पहुंची तो उन्हें यह एक तमाचे की तरह लगा अधिकारी नांगेली के घर पहुंचे तो उसके पति चिरकुंडुन ने टैक्स देने से मना कर दिया। यह बात राजा तक गई। फिर राजा ने एक बड़ा दल नांगेली के घर भेज दिया।
नांगेली का स्तन टैक्स
नांगेली- केरल जैसे शिक्षित राज्य में महिलाओं को पूरा तन ढकने का अधिकार 150 वर्षों के बाद मिला।राजा के आदेश पर जब अफसर नांगेली के घर टैक्स लेने पहुंचे। तब तक पूरा गांव नांगेली के घर के आस - पास इकट्ठा हो गया था। पूरा गांव उत्सुकतावश देख रहा था कि अब क्या होगा?... आज से पहले किसी महिला ने ऐसा साहस नहीं किया था।
अफसर बोले- "ब्रेस्ट टैक्स दे दो, किसी तरह की कोई माफी नहीं मिलेगी।"
नांगेली बोली- "रूकिए मैं लाती हूँ टैक्स।"
नांगेली अपनी झोपड़ी के अंदर गई। जब वो बाहर आई तो अफसरों की आंखें फटी की फटी रह गई।
नांगेली केले के पत्ते पर अपना स्तन काटकर लिए खड़ी थी। अफसर ये देख उल्टे पांव वापस चले गए।
नांगेली का शरीर के शरीर से लगातार खून बह रहा था। जिससे वह बेहोश होकर गिर पड़ी और कभी ना उठ सकी।
नांगेली की चिता में पति सती हुआ
नांगेली की मृत्यु के बाद उसके पति चिरकुंडुन ने भी उसकी चिता में कूदकर अपनी जान दे दी। भारतीय इतिहास में किसी पुरुष के सती होने की यह एक मात्र घटना मिलती है।
इस घटना के बाद हिंसा और विद्रोह शुरू हो गया। महिलाओं ने पूरे कपड़े पहनने शुरू कर दिए। मद्रास के कमिश्नर त्रावणकोर के राजा के महल में पहुंचे और कहा- "हम हिंसा रोकने में असफल हो रहे हैं आप कुछ करिए"
राजा को भी इस स्थिति के आगे झुकना पड़ा। राजा को घोषणा करनी पड़ी कि नादर जाति की महिलाएं बिना टैक्स दिए ऊपर के कपड़े पहन सकती है।
डॉक्टर शिबा कहती है- "नांगेली के संघर्ष की जितनी चर्चा होनी चाहिए थी उतनी नहीं हुई। इसका कारण उन्होंने बताया कि हमारा इतिहास हमेशा पुरुषों के चश्मे से लिखा गया है। अभी कुछ ही दशकों से महिलाओं के बारे में जानकारी जुटाने का क्रम शुरू हुआ है।"
नांगेली ने अपने प्राणों की आहुति देकर एक क्रांति की मशाल को जला दिया। केरल के मुलच्छीपुरम में उसकी एक प्रतिमा लगाई गई है। जहां जाकर लोग सर झुकाते हैं। यह आभार है आज की स्वतंत्रता के लिए उस वीरांगना नांगेली को!
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