अभिमान और स्वाभिमान | Ego Vs Self Respect (Part-1)
अभिमान में व्यक्ति को केवल मैं दिखालाई देता है। जबकि स्वाभिमान में दूसरों के हितों के प्रति सतर्कता विद्यमान रहती है।
यदि महत्व दिया जाए तो अभिमानी दूसरों को लघु समझने लगता है और स्वाभिमानी अपने कार्य की महत्वता को समझ कर उसकी उपयोगिता का मूल्य जानता है।
अभिमानी सदैव अपने कार्यों की सफलता को गिनता रहता है। वह अधिकतर भूतकाल में जीता है। जबकि स्वाभिमानी सीख ले कर और अधिक उत्साही होकर नई योजनाओं को क्रियान्वित करता है।
मुख्य बिंदु | Table of Content:-
- स्वाभिमान और अभिमान में अंतर | Difference Between Pride and Self- Esteem
- इतिहास के पन्नों से | Bad Consequences if Pride in History
- अहंकार पर श्लोक | Ego and Self- Respect Quotes in Hindi
- कैसे जाने स्वाभिमानी और अभिमानी के बीच अंतर? | How to know the difference between Self-Respect and Arrogant?
- मेरे विचार | My Thoughts
स्वाभिमान और अभिमान में अंतर | Difference Between Pride and Self- Esteem
स्वाभिमान एक व्यक्ति को स्वावलंबी बनाता है। जबकि अभिमानी व्यक्ति सदैव दूसरों पर अधिकार ही जमाता है। उसे यह लगता है कि यह तो सामने वाले का कर्तव्य था। दोनों परिस्थितियों में बहुत ही बारीक सा भेद है जो दोनों को एक दूसरे से अलग करता है। प्रत्येक व्यक्ति में यह दोनों ही गुण विद्यमान रहते हैं, अंतर केवल हमारी सोच से प्राथमिकता देने का है।
अभिमानी व्यक्ति अपनी स्वार्थपूर्ति, हितों के लिए दूसरों के आहत होने की परवाह नहीं करता और स्वाभिमानी व्यक्ति दूसरों के हितों को ध्यान में रखकर अपने अस्तित्व को बचाए रखता है।
इतिहास के पन्नों से | Bad Consequences if Pride in History
कहते हैं अभिमान तो रावण का भी नहीं रहा था तो साधारण मानव क्या चीज है!
रावण को अपने ज्ञान और शक्ति का अभिमान था वह सब पर अपना अधिकार स्थापित करना चाहता था। कंस अभिमानी था क्योंकि वह अपनी शक्ति के बल पर राज करना चाहता था। राम ने रावण को मारा और कृष्ण ने कंस के आतंक का अंत किया इसलिए राम और कृष्ण स्वाभिमानी कहे जाते हैं।
रावण हो या कंस हो, भस्मासुर हो या फिर हो हिरण्यकश्यपु अहंकार केवल और केवल विनाश का पर्याय है।
हमारे इतिहास में जितने भी महान दार्शनिक, नेता, वैज्ञानिक हुए हैं उनमें अभिमान तनिक भी नहीं था। यही कारण है कि वे महान कहलाए।
अभिमान अपनी सीमाओं को पार कर दूसरों की सीमाओं में प्रवेश कर जाता है, जबकि एक स्वाभिमानी व्यक्ति अपनी व दूसरों के हितों की सीमाओं के प्रति सदैव सजग रहता है।
अहंकार पर श्लोक | Ego and Self- Respect Quotes in Hindi
अश्रुतंच्श्र समुत्रद्ध्रे दरिद्रश्य महामना:
अर्थाश्र्चाकर्मना प्रेप्सुमूंढ इत्यचच्यते बुधै:
अर्थ- बिना पढ़े स्वयं को ज्ञानवान समझकर घमंड करने वाला, दरिद्र होकर भी बड़ी-बड़ी योजनाएं बनाने वाला और
बैठे-बैठे धन पाने की इच्छा करने वाला व्यक्ति मूर्ख कहलाता है।
चाणक्य सूत्र - नासत्यहंकार: सम: शत्रु
अर्थ- अहंकार के समान कोई शत्रु नहीं है।
दंबोदर्पोs भियानश्च क्रोध: पारूष्यमेव च
अज्ञानं चाभिजातस्य पार्थ सम्पदमासुरीम्
अर्थ- हे पार्थ! दंभ, घमंड और अभिमान व क्रोध, कठोरता और अज्ञान- यह सभी आसुरी गुणों को लेकर उत्पन्न हुए पुरुष के लक्षण है।
रहीम -
मान सहित विष खाय के, शंभु भए जगदीश
बिना मान अमृत पिए, राहु कटायो शीश
अर्थ- समुद्र मंथन के समय जब अमृत् व विष निकला था तब विष से हानी को जानते हुए सभी देवताओं ने मिलकर शिव जी से सम्मान सहित अनुरोध किया कि हे शिव! कृपया विषपान को करके हम सभी की रक्षा करें। इस सम्मान सहित अनुरोध से अभिभूत होकर शिवजी ने विषपान कर के इस जगत की रक्षा की। मान सहित मिलने वाले विष को पीने के परिणाम स्वरूप वे शंभू- जगदीश ( जगत के ईश्वर) कहलाए।
जब देवता अमृतपान कर रहे थे उस समय छल और कपट से राहु ने अमृत को पी लिया था। इस से क्षुब्ध होकर विष्णु जी ने अपने सुदर्शन चक्र से राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया। अमृत पीने के कारण वह मरा तो नहीं परंतु उसका सिर और धड़, राहु और केतु के नाम से आज भी अंतरिक्ष में सूर्य के परिक्रमा कर रहे हैं। इसे छायाग्रह रूप भी कहते हैं।
पढ़त गुनत रोगी भया, बढ़ा बहुत अभिमान
भीतर ताप जू जगत का, घड़ी ना पड़ती सान
अर्थ- ज्ञान प्राप्ति मनुष्य के लिए आवश्यक है परंतु जब ज्ञानी व्यक्ति के मन में अहंकार का जन्म हो जाता है, तब व्यक्ति का ज्ञान भी उसके किसी काम नहीं आता और व्यक्ति को एक पल की भी शांति नहीं मिलती है।
रे मानुष तन माटी का- दोहा || By Pushpa Raj
कैसे जाने स्वाभिमानी और अभिमानी के बीच अंतर? | How to know the difference between Self-Respect and Arrogant?
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कुछ बिंदुओं के द्वारा आप स्वाभिमान और अभिमान में भेद कर सकते हैं:-
✳️ अभिमानी का अपने स्वभाव पर नियंत्रण नहीं रहता।
जबकि स्वाभिमानी का अपने स्वभाव पर नियंत्रण रहता है।
✳️ अभिमानी अपने विरुद्ध कहीं बातें, आलोचना सहन नहीं कर पाता।
जबकि स्वाभिमानी आलोचनाओं से सीख लेकर स्वयं को और अधिक परिष्कृत बनाता है।
✳️ अभिमानी स्वयं को सर्वोपरि रखकर कार्य करता है।
परंतु स्वाभिमानी व्यक्ति सबके हितों को ध्यान में रखकर कार्य करता है।
✳️ अभिमानी सदैव दूसरों को शिक्षा देने में लगे रहत हैं, दूसरों के द्वारा किए गए कार्यों को वह तुच्छ समझता है।
जबकि स्वाभिमानी दूसरों के गुणों की सराहना कर उन्हें भी महत्व देते हैं।
✳️ अभिमानी सदैव अपनी कमियों को छुपाने का प्रयास करता हैं, वह कभी अपनी गलतियां स्वीकार नहीं करना चाहता।
स्वाभिमानी अपनी कमियों को स्वीकार कर सीख लेता हैं, यदि उन्हें दूर किया जा सकता है तो इस दिशा में प्रयास करता हैं।
✳️ स्वाभिमानी व्यक्ति यह चाहता है कि केवल उसकी ही बातों को सुना जाए। दूसरे लोगों के विचारों को वह महत्वनहीं देता।
जबकि स्वाभिमानी व्यक्ति दूसरों के हितों को ध्यान में रखता हैं। अपने विचार दूसरों पर नहीं थोपता।
✳️ एक अच्छा श्रोता होना स्वाभिमानी होने का कारक है क्योंकि वह सबसे कुछ न कुछ सीखने की सोच रखता है।
वहीं एक अभिमानी व्यक्ति अपनी उपलब्धियों के लिए बड़ाई चाहता है, इसमें वह चाटुकारों से जुड़ा रहना पसंद करता है।
📝मेरे विचार | My Thoughts
📌 हर उपलब्धि अपने साथ अहंकार के सर्प को लिए बैठी होती है, उसके प्रति सावधान रहकर ही आप उसके दंश से बच सकते हैं।
📌 एक बात और सर्वदा सत्य है कि सफलता अपने साथ कुछ अभिमान को भी लाती है। जब अपनी उपलब्धियों पर गर्व अपनी सीमाएं लांघकर अहंकार में परिवर्तित होने लगे तो अपने से बड़े महानुभावों को इतिहास में देख लेना चाहिए। इस से सीख लेकर मन 'मैं' से हटकर 'कर्म' केंद्रित हो जाता है।
तो इस प्रकार अपने स्वभाव को जाते रहिए कहीं यह स्वाभिमान से अभिमान में तो नहीं बदलता जा रहा है????
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आपको आपका यह लेख कैसा लगा कमेंट करके बताइएगा। इसके अगले अंक में मैं स्वाभिमान और अभिमान से जुड़ी एक प्रचलित कहानी आपके सामने लेकर उपस्थित होऊँगी तब तक के लिए विदा दीजिए। आपकी दोस्त पुष्प की दुनियाँ को नमस्कार... 🙏
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