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मंगलवार, 20 जुलाई 2021

ईद-उल-अजहा या बकरीद कब है, क्या है महत्व? When is Eid-Ul-Azha Or Bakrid in 2021 (Essay, Article)

 

 ईद-उल-अजहा या बकरीद कब है, क्या है महत्व? When is Eid-Ul-Azha Or Bakrid in 2021 (Essay, Article)


दोस्तों मैं पुष्प की दुनियां आज आपसे भारत के एक त्योहार के बारे में बात करने आई हूं। जैसा कि आप सभी जानते हैं, भारत त्योहारों का देश कहा जाता है। जितना रंग- रंगीला इसका मौसम है, उससे भी अधिक इसके त्योहारों के रंग है।

 उन्हीं में से एक त्योहार है 'ईद-उल-अजहा' यानी की 'बकरीद'। 

आइए जानते हैं इस त्योहार बारे में कुछ बातें.... 


TABLE OF CONTENTS:

  1. कब मनाया जाएगा 'ईद-अल-अधा'' (बकरीद) 2021 भारत में? |  When will Bakrid 2021 be celebrated in India?
  2. आखिर कुर्बानी देने की क्या वजह है और क्या है इसका महत्व? What is the reason for sacrificing and what is its importance? 
  3. कैसे मनाई जाती है बकरीद? | How is Bakrid celebrated? 
  4. कैसे दी जाती है कुर्बानी? | How is sacrifice given? 
  5. कौन कुर्बानी नहीं दे सकता/ किस की कुर्बानी कबूल नहीं होगी? Who can not sacrifice/ whose sacrifice will not be accepted? 
  6. मेरे विचार | उपसंहार | Epilogue




कब मनाया जाएगा 'ईद-अल-अधा' (बकरीद) 2021 भारत में? | When will Bakrid 2021 be celebrated in India?

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                                Bakra eid Mubarak image | pixabay


           खबरों के अनुसार दिल्ली के जामा मस्जिद के नायब शाही इमाम सैयद शाबान बुखारी ने ईद-उल-अजहा (बकरीद) 21 जुलाई बुधवार को मनाने की घोषणा की है। 


बकरीद को ईद-उल-अजहा भी कहा जाता है। यह मुसलमानों के लिए एक बड़ा त्यौहार है। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक बकरीद 12वें महीनें की 10वीं तारीख को मनाया जाता है। इस बार यह 21 जुलाई को मनाया जाएगा। 


रमजान का महीना के खत्म होने के 70 दिन बाद यह त्योहार मनाया जाता है। इस दिन अल्लाह को जानवरों की कुर्बानी दी जाती है। 


आखिर कुर्बानी देने की क्या वजह है और क्या है इसका महत्व? What is the reason for sacrificing and what is its importance? 

    प्रस्तावना- इसे मनाने के पीछे भी एक प्राचीन कथा है। कुरान के अनुसार एक बार अल्लाह ने हजरत इब्राहिम की परीक्षा लेने की सोची। उन्होंने इब्राहिम को कहा कि वो अपनी सबसे अज़ीज़ (प्यारी) चीज़ उन्हें कुर्बानी के रूप में भेंट स्वरूप दे। 

     हजरत इब्राहिम को अपने बेटे से बहुत प्यार था। इसलिए उसकी कुर्बानी देना उनके लिए बहुत मुश्किल था। 

      लेकिन अल्लाह का हुक्म मानते हुए, अपने मन को मजबूत कर बेटे के गले पर उन्होंने छुरी चला दी। इसके बाद जब उन्होंने आंखें खोली तो पाया कि उनका बेटा बिल्कुल ठीक है और उसकी जगह उनके हाथों से बकरे की कुर्बानी हुई है। तब से यह कुर्बानी की प्रथा शुरू हुई। 


कैसे मनाई जाती है बकरीद? | How is Bakrid celebrated? 

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                                   Bakra eid poster | pixabay


         इस दिन नमाज पढ़ने के बाद कुर्बानी दी जाती है। इस दिन मुसलमान अपने घर में पल रहे बकरे को कुर्बानी स्वरूप भेंट चढा़ते हैं। जिन लोगों के घर में बकरा नहीं होता है, वे इस त्योहार से कुछ दिन पूर्व बकरा खरीद कर लाते हैं और उसकी देख-रेख करते हैं। बकरीद या  Eid-al-adha के दिन बकरे की कुर्बानी देने के बाद बकरे के मीट को तीन हिस्सों में बांटा जाता है। पहला हिस्सा फकीरों में बांटा जाता है दूसरे हिस्से को रिश्तेदारों में तथा तीसरा हिस्सा घर में पकाकर खाया जाता है । 


कैसे दी जाती है कुर्बानी? | How is sacrifice given? 

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                       Bakra eid qurbaani | pixabay


            अल्लाह की रज़ा के लिए मुस्लिम लोग इस दिन कुर्बानी देते हैं। जरूरी नहीं कि कुर्बानी बकरे की ही हो। 

      कुर्बानी किसी भी जानवर की दी जा सकती है परंतु इस बात का ध्यान रखा जाता है कि जानवर को कहीं चोट ना लगी हो या वह बीमार ना हो।


 कौन कुर्बानी नहीं दे सकता/ किस की कुर्बानी कबूल नहीं होगी? Who can not sacrifice/ whose sacrifice will not be accepted? 

      यदि किसी व्यक्ति पर कर्जा है तो वह कुर्बानी नहीं दे सकता। कुर्बानी केवल वही दे सकता है जिस पर किसी प्रकार का कोई कर्जा नहीं है। यदि किसी व्यक्ति पर कर्ज है तो पहले उसे चुका कर ही कुर्बानी दी जा सकती है नहीं तो उसकी कुर्बानी कबूल नहीं होगी। 


📝मेरे  विचार | उपसंहार | Epilogue

       उस ऊपर वाले ने हर एक को जीवन दिया है। हर एक को जीवन जीने की नेमत बक्शी है। भारत एक ऐसा देश है, जिसने सभी धर्मों को खुले दिल से अपनाया है। 

भारत "सर्व-धर्मसम- भाव" की विचारधारा पर आधारित देश है। भारत की पूरे विश्व में पहचान इसकी विविधता के कारण है। यह अनेकता में एकता का देश है। 

इसलिए हमें भी सभी धर्मों के प्रति आदर और समभाव का दृष्टिकोण रखना चाहिए ताकि "सौहार्द्र और प्रेम की यह गंगा इसी तरह युगों- युगों तक बहती रहे...!!!"


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