रिटायर- भाग 3 (अंतिम भाग) Story In Hindi
हैलों! दोस्तों... कैसे हैं आप, आशा करती हूँ कि आप सभी अच्छे और स्वस्थ होंगे। मैं आपकी दोस्त पुष्प की
दुनियां/ पुष्पा राज आज आपके सामने अपनी कहानी के पिटारे से एक और कहानी "रिटायर भाग-3" लेकर
उपस्थित हुई हूं। यह इस कहानी का अंतिम भाग है। यदि आपने अन्य दो भाग नहीं पढ़े हैं तो रिटायर भाग-1 और
रिटायर भाग-2 तो इस कथा के अंत में दिये गये लिंक पर क्लिक करके उसे पढ़ सकते हैं।
पिछले अंकों में आपने पढ़ा कि... लेखा आंटी और राजन अंकल हमारे सामने वाले घर में रहने आए... वे
दोनों सही मायने में क दूसरे के पूरक थे... उन्होंने अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दी... विहान यूएस में और आयुष
कोटा में कार्यरत है ... कुछ समय बाद विहान का फोन आता है कि उसने वहां यूएस में एक भारतीय लड़की से
शादी कर ली है और वह जल्दी ही लेखा और राजन से उसे मिलाने भारत आयेगा... विहान, अर्चना को लेकर
राजन- लेखा से मिलवाने भारत आता है... लेखा को अपने साथ यू एस घुमाने ले जाता है.... लेखा का वहाँ
का experience... फिर लेखा की घर वापसी... और आयुष का लंबे समय से बात ना करने के कारण चिंता...
अब आगे...
कथा बिंदु-
19 मार्च मेरे भतीजे का के जन्मदिन पर मैं मम्मी के यहां गई थी तभी न्यूज़ आ गई की सैटरडे- संडे 2 दिन
लॉकडाउन रहेगा। इसलिए Monday को ही घर वापसी हो सकी.
Sunday 22 march 2020 को रात 9 बजे सभी ने मोदी जी के साथ दिये जलाये, थाली बजाई। ऐसा लग रहा
था मानो आज Corona की देश से विदाई हो गई हो। लोगों ने video बनाई, status लगाए।
पर ऐसा कुछ नहीं हुआ... संपूर्ण भारत में lockdown लग गया।
इस बार लेखा आंटी के घर भी नहीं जा सकी... तो फोन पर ही हाल चाल जान लिया... आयुष को लेकर कुछ
परेशान लग रही थी।
इंडिया लॉकडाउन | India Lockdown
आयुष का स्टार्टअप अच्छा चल रहा था। समय-समय पर मम्मी पापा से बात भी हो जाती थी। पर जब भी
लेखा मिलने आने के लिए आयुष से कहती तो वह यह कह कर टाल जाता कि मम्मा अभी बहुत काम है, अभी तो
शुरू किया है। वीडियो कॉल पर बात तो हो जाती है। एक बार सेट हो जाऊं फिर आऊंगा पक्का। आप लोगों को
भी दिखाऊंगा अपना ऑफिस।
लेखा- अच्छा बाबा जब तुम्हारा जी करे तब आना मुझे तो बस यही तसल्ली है कि तुम ठीक हो। खुश रहो, मस्त रहो।
आयुष- हा हा हा... क्या मां।
कुछ समय से आयुष की कोई खबर ना थी। 15 दिन बीते, एक महीना बिता 2 महीने होने को आए। ना
आयुष का कोई फोन आता था। ना ही वह कोई कॉल पिक करता था। राजन और लेखा बहुत परेशान थे। कैसे
आयुष से बात की जाए... आखिर कैसा है वह...क्या हुआ जो इतने समय से उसने कोई कॉल नहीं किया... तबीयत
ठीक है उसकी या नहीं?
लेखा- उसके दोस्तों से पता कीजिए ना, शायद उन्हें कुछ पता हो आयुष के बारे में।
राजन- सभी को तो कॉल कर लिया कुछ पता नहीं चल रहा। लॉकडाउन है सभी सेवाएं भी बंद है, आखिर जाए तो
कैसे? जाकर भी नहीं मिल सकते।
लेखा- एक बार फिर कोशिश कीजिए ना, शायद इस बार किसी दोस्त से कुछ पता चल जाए।
राजन- ठीक है.. तुम कहती हो तो एक बार फिर सभी को कॉल करके देखता हूं..... hello आकाश बेटा कैसे हो
घर पर सब कैसे हैं तबीयत ठीक है सबकी?...
आकाश- जी अंकल जी... हमारे यहां सब ठीक है सेफ है। आप लोग कैसे हैं?
राजन- हम भी ठीक हैं।
आकाश- बहुत दिनों बाद फोन किया अंकल... कुछ काम था।
राजन- हां बेटा पूछना था। क्या आयुष से तुम्हारी कुछ बात हुई? आकाश- क्या अभी तक आप लोगों की बात नहीं
हुई उससे।?..
मैंने कहा था उससे की अंकल आंटी बहुत परेशान है, एक बार बात कर ले।
राजन- कैसा है वह... कुछ परेशानी तो नहीं है।
आकाश- अंकल कुछ दिन पहले उससे बात हुई थी मेरी। कुछ परेशान लग रहा था। वैसे तो वो अपनी परेशानी
किसी को नहीं बताता पर मेरे फोर्स करने पर उसने बताया कि जो उसने start-up शुरू किया था, लॉकडाउन की
वजह से उसे बहुत लॉस हो गया। उसका बिज़नेस खत्म हो गया है।
राजन- तो यहां आ जाता...
आकाश- अंकल आपको तो पता ही है वह कितना जिद्दी है। मैंने कहा था उस से पर वह अपनी परेशानी किसी से
शेयर ही नहीं करना चाहता। इसीलिए आप लोगों से भी बात नहीं करता, कहीं आप लोग परेशान ना हो जाओ।
राजन- कोई और नंबर है क्या उसका।
आकाश- हां अंकल... लिखिए 98101xxxxx
राजन- थैंक्यू बेटा उस से बात करते रहना।
आकाश- जी अंकल जी.... बाय टेक केयर।
राजन- बाय बेटा।
राजन ने तुरंत आयुष को फोन मिलाया. . . बेल जा रही थी...
आयुष- हेलो।
राजन- कैसे हो बेटा?... एक बार कॉल तो कर लेते हैं।
आयुष- जी पापा... वह थोड़ा बिजी था। आपको नंबर कैसे मिला ये वाला?
राजन- तुम्हारे दोस्त आकाश से।
आयुष- मैंने उसे मना किया था। आप लोग बेकार ही परेशान होंगे।
राजन- नहीं बेटा तुम अपनी परेशानी हमसे नहीं बताओगे तो किससे बताओगे। कोई बात नहीं यह pandemic तो
सभी के लिए है। फिर से शुरू करना। इस बार तो तुम्हारे पास एक्सपीरियंस भी है।
आयुष- उदास मन से... हां पापा
राजन- तबीयत कैसी है तुम्हारी
आयुष- ठीक हूं... थोड़ी सुस्ती रहती है।
राजन- किसी डॉक्टर से कंसल्ट किया।
आयुष- हां... किया था।
राजन- क्या कहा डॉक्टर ने?
आयुष- कुछ नहीं बस बहुत सारी दवाइयां पकड़ा दी और रेस्ट करने को बोला। मेंटल स्ट्रेस बताया है। आप
परेशान ना हो मैं बिल्कुल ठीक हूं।
राजन- अपनी मां से कभी-कभी बात कर लिया करो। वह बहुत परेशान है तुम्हारे लिए।
आयुष- हां पापा... कर लूंगा। बाय ध्यान रखना अपना और माँ का
राजन- ओके बेटा बाय
आयुष की सेहत
आयुष इस बार जब मिलने आया तो उसकी सेहत कुछ ठीक नहीं थी डॉक्टर ने आराम करने को कहा
था राजन ने जब डॉक्टर से बात की तो डॉक्टर ने बताया की डिप्रेशन है ऐसे में ज्यादा स्ट्रेस लेना ठीक नहीं जितना
रिलैक्स रहे उतनी जल्दी रिकवर करेगा राजन जी डॉक्टर लेखा को इस बारे में राजन ने कुछ नहीं बताया पर मन
ही मन लिखा जैसे सब जानती थी वह आयुष को लेकर बहुत चिंतित थी।
4-5 महीने बाद जीवन पटरी पर आने लगा। आयुष ज़िद करके दोबारा बंगलौर आया और एक बार फिर से
अपना बिजनेस शुरू करने की कोशिश की पर इस बार वह स्पीड नहीं थी क्योंकि वर्ल्ड वाइड मार्केट डाउन चल
रहा था।
लेखा की चिंता
लेखा जैसे अंदर ही अंदर घुट रही थी कुछ था जो उसको खाए जा रहा था राजन अपनी तरफ से समझाने की
कोशिश करते पर लेखा की सेहत दिन पर दिन गिरती जा रही थी
8 अप्रैल 2021 को सुबह-सबह फोन की घंटी बजी फोन पर दूसरी तरफ मम्मी थी उन्होंने बताया कि लेखा आंटी
अब दूसरे धाम को चली गई है... सुनकर धक्का साल लगा... ऐसा कैसे... क्या हुआ उनको... तुरंत उनके घर को
रवाना हुई।
वहाँ का नज़ारा ही और था... आँखे पथरा-सी गयी... देखकर
आखिर यह हो क्या रहा है..? मैंने लोगोँ से पूछा...
पीछे भीड़ में खुसर-फुसर हो रही थी... इतना समय हो गया शाम होने को आई दोनों में से कोई बेटा आने वाला है या नहीं.... एक पडो़सी ने बताया दोनों से बात हो गई है वह निकल रहे हैं, अब दूर है तो समय लग जाएगा.... सुबह तक दोनों पहुंच जाएंगे, तब तक इंतजार करते हैं
यू एस में
विहान आर्चना से साथ चलने को कहता है...
अर्चना- तुम तो जानते हो मेरी presentation है कल. कितना वर्क किया मैंने इस पर... मेरा पूरा फ्यूचर इस
presentation पर depend करता है तुम्हें पता है इसके बाद मेरे प्रोमोशन के चांसेस् कितने बढ़ जाएंगे. मैं किसी
को handover भी नहीं कर सकती क्योंकि पूरा फ्रेमवर्क मैंने organise किया है.
विहान- ठीक है मैं ही जाता हूं.
आयुष को फोन किया.... आयुष निकल गए गए क्या तुम वहां से... कब तक पहुंचना होगा तुम्हारा?
आयुष- भैया मैं तो यहां सिर से पैर तक फंसा हुआ हूं. किसी और को काम सौंप कर फिर निकलता हूं. शाम तक
ही निकल पाऊंगा...सुबह तक पहुंचूंगा . आप कब तक चलेंगे वहां से?
विहान- चेक करता हूं अगर अभी कोई फ्लाइट अवेलेबल होगी तो अभी ही निकल जाऊंगा. नहीं तो रात की
फ्लाइट से आना होगा. कल सुबह तक मैं भी पहुंच जाऊंगा.
आयुष- ठीक है भैया
सुबह- सुबह दोनों भाई पहुंच गए उसके बाद अंत्येष्टि का कार्यक्रम शुरू किया गया विहान ने मुखाग्नि दी सभी द्रवित हृदय थे..
विहान- आयुष की तनातनी
अभी चार ही दिन बीते थे कि मोहल्ले में दोनों भाइयों के बीच तनातनी की सुगबुगाहट फैलने लगी. दोनों को
जल्दी थी वापस जाने की दोनों में से कोई ज्यादा दिन रुकना नहीं चाहता था. राजन अंकल के पास सांत्वना देने की
दोनों में से किसी को फुर्सत नहीं थी. दोनों चाहते थे यहां की प्रॉपर्टी बेचकर पापा उनके साथ चलें... ताकि बार-बार
यहां आने-जाने का झंझट ना करना पड़े और प्रॉपर्टी की देखभाल भी नहीं करनी पड़ेगी. दोनों के इस तरह के
झगड़े, मनमुटाव और विचारों को देखकर राजन अंकल का मन आहत हुआ जाता था.
किसी तरह से चौथा बीता... नवमी को सुबह जब एक पड़ोसी चाय लेकर राजन अंकल को देने गए तो
उनकी कोई प्रतिक्रिया ना देख कर उन्हें हिलाया... अंकल निढाल होकर गिर पड़े, घर में शोर मच गया. राजन
अंकल ने शायद अपनी हिम्मत खो दी थी. अब किसके सहारे जीते?... उनके हृदय में प्राण संचरित करने वाली
हृदयांगना तो चली गई थी! पुत्रों से अधिक स्नेह की आशा न थी.

नौ ही दिनों में इस घर से दूसरी अर्थी निकल रही थी. सबका कहना था राजन अंकल के लिए तो अच्छा ही हुआ.
वह किसी पर आश्रित नहीं हुए. ईश्वर दोनों की आत्मा को शांति दे.
राजन-लेखा वृद्धाश्रम | Rajan-Lekha Old Age Home
राजन अंकल को शायद इस सबका आभास पहले से ही हो गया था. जिसके कारण बहुत पहले ही उन्होंने
अपनी वसीयत तैयार कर दी थी.जिसमें लेखा आंटी की इच्छा अनुसार जब दोनों इस घर में ना रहे तो इसे एक
वृद्धाश्रम बना दिया जाए. उन्होंने इस घर को एक समाज सेवी संस्था को दान कर दिया था. जो ऐसे वृद्ध लोगों की
सेवा में कार्यरत थी, जिनके बच्चे उनके साथ नहीं रहते... जो अकेलेपन का जीवन बिताते हैं.
अभी कुछ ही दिनों पहले
ताऊते तूफान (Taut storm
) अपना भयंकर रूप दिखाकर गया है कई दिनों की बारिश के बाद
आज हल्की खिली धूप निकली है सूरज का प्रकाश प्रकृति की छटा का अनुपम रूप बिखेर रहा है बालकनी में
टहलने आई तो देखा सामने चार लोग एक बोर्ड टांग रहे है. जिस पर लिखा है "राजन-लेखा वृद्धाश्रम", उसकी
टैग लाइन है
"एक घर अपना-सा"
आज लेखा आंटी और राजन अंकल का सपना सच हो रहा था. सभी कानूनी कार्यवाही के बाद अब उस
घर में वृद्धाश्रम बनाने की तैयारियां पूरी की जा रही थी.
अब उस घर में सन्नाटा नहीं रहता रौनक और खुशियां रहती है ऐसी इच्छाएं उसमें अपनी आभा बिखेरती हैं
जिनके लिए यह घर अमूल्य है एक ऐसा घर जिसे वह अपना कह सकते हैं जिसके लिए किसी के पास टाइम नहीं
इस दुनिया उनके पास अपना एक छोटा सा संसार है जिसमें कई रिश्ते पनप रहे हैं एक दूसरे की देखभाल करते
हुए जीवन के अस्तित्व को सही मायने दे रहे हैं हैं
कुछ दिन पहले केवल ताऊते तूफान ही नहीं आया था बल्कि कोई और एक बवंडर भी था जो अपने साथ
बहुत कुछ अनचाहा समेट कर ले गया और पीछे छोड़ गया कभी ना खत्म होने वाली कहानी..उनके पद चिन्ह... 👣
मेरी डेस्क से | from my desk
ज्ञानी जनों ने इस मानव जीवन को चार भागों में बांटा है- बाल्यावस्था, किशोरावस्था, व्यस्क व बुढ़ापा.इनसे
बचकर कोई नहीं रह पाया. सभी को अपनी आयु के अनुसार इन अवस्थाओं से होकर गुजरना पड़ता है.
बाल्यावस्था में चिंता होती है, किशोरावस्था में सबकुछ जानने की ललक, व्यस्क में जीवन के लिए सभी साधनों
को जुटाने के प्रयास सम्मिलित रहते हैं और बुढ़ापे में अपने द्वारा किए गए कार्यों का भोग तथा अपने पीछे वाली
पीढ़ी को मार्गदर्शन दिखाने की योग्यता.
पर आज भागदौड़ कुछ अधिक हो गई है जीवन में. लोगों के पास अपनों के लिए भी समय नहीं है. परिवार की
परिभाषा छोटी और छोटी होती जा रही है. पहले संयुक्त परिवार थे जिसमें 8-10 लोगों का परिवार होता था. फिर
एकल जिसमें 4 से 5 लोग हुआ करते थे. पर आज के परिवारों में इनकी संख्या और कम हो गई है. जब तक बच्चे
आश्रित होते हैं साथ रहते हैं....
"पंख लगने के बाद उनकी उड़ान इतनी ऊंची हो जाती है कि शायद वह ज़मीन को ही भूल जाते हैं".....
सोचिएगा...!!!
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आज का यह अंक आपको कैसा लगा?...
यदि आपके जीवन की किसी घटना, किसी अनछुई कोमलांगना परछाई को छू सकी है तो मैं समझूंगी कि मेरे
इस कहानी लेखन का प्रयास सफल रहा...
आपको मेरी ये कहानी की "सीरीज़-रिटायर" (hindi story sereas) कैसी लगी?.... मुझे कमेंट कर बताइएगा ताकि मैं इसी प्रकार
की और रचनाएं आप तक पहुंचा सकूं...
अगर आप इस से संबंधित कोई विचार मुझसे सांझा करना करना चाहते है, तो आपका स्वागत है...☺️
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