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शनिवार, 26 जून 2021

रिटायर- भाग 1 (कहानी) | Retire- Part-1 | Hindi Story

      रिटायर- भाग 1 (Retire-Part-1) New Story In Hindi

             हैलों प्यारे दोस्तों! मैं आपकी दोस्त पुष्प की दुनियां/पुष्पराज आज आप सबके सामने एक स्वरचित 

कहानी लेकर उपस्थित हुई हूँ... जिसका नाम है 'रिटायर'यह इस कहानी (Hindi Story) का प्रथम भाग है. इसमें मैंने कुछ बातों 

की ओर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास किया गया है... कि कैसे अभिभावक अपने बच्चों की परवरिश करते हैं... 

अच्छे भविष्य की कामना करते हैं... और कुछ उम्मीदें लगाते हैं... क्या सभी उम्मीदें पूरी हो पाती है... क्या उनके 

सपने पूरे होते हैं... जिस प्रकार अभिभावक (parents) बच्चों के भविष्य के बारे में सोचते हैं... क्या बच्चें भी अभिभावकों की ही 

तरह उनके बुढ़ापे के बारे में सोचते हैं....

आइए जानते हैं... 

 

         आज कई दिनों की झमाझम बारिश के बाद कुछ हल्की धूप निकली थी. चिड़ियों की चहचहाहट से आकाश 

वातावरण गुंजायमान हो रहा था. आकाश से काले बादल जा चुके थे. चारों ओर सब कुछ नया-नया सा लग रहा था. 

तभी सामने के मकान पर नजर पड़ी, चार लोग एक बोर्ड टांग रहे थे. उस बोर्ड को पढ़ने की कोशिश की तो लिखा 

था- "राज-लेखा वृद्धाश्रम"



नए पड़ोसी का आगमन |New Neighbor Arrival

        बोर्ड पढ़कर मन कुछ भारी सा हो आया आंखों के सामने पुरानी यादें चलचित्र की भांति घूमने लगीं. बात कुछ 

पुरानी होगी... मैं 10 साल की रही होंगी तब एक नवविवाहित जोड़े ने सामने वाला घर खरीदा था. मैंने मम्मी से पूछा 

कि सामने वाले घर में अब कौन आए है?.. तो मम्मी ने बताया कि पता नहीं कोई नया जोड़ा लगता है. अब एक-दो 

दिन में जान-पहचान हो जाएगी, तब पता चल जाएगा.


Anjali-paying-with-friends-at-My-Society


           एक दिन जब मैं बाहर गली में दोस्तों के साथ खेल रही थी... तो बॉल उस सामने वाले घर में चली गई. 

किसी साथी की हिम्मत ना होती थी कि उस घर में जाकर बॉल को ले आए क्योंकि कोई भी उस नई फैमिली से 

परिचित नहीं था... तो सभी ने मुझे आगे कर दिया, यह सोच कर कि ग्रुप में अकेली लड़की होने के कारण इसे डांट 

नहीं पड़ेगी. डरते-डरते मैंने डोर बेल बजाई. एक नजर दरवाजे पर थी... तो दूसरी नजर दोस्तों पर. ना जाने क्या 

होने वाला था... सोचकर हाथ-पांव फूलें जाते थे. कुछ ही पलों के इंतजार में दरवाजा खुल गया, सामने एक युवती 

खड़ी थी. मुस्कुराकर मुझसे पूछा... क्या हुआ बेटा, बैल क्यों बजाई, किससे काम है... मैं बस उनका चेहरा ही 

देखते जाती थी, प्रश्नों पर मेरा ध्यान ही नहीं गया. सुंदर नयन-नक्ष, काले लंबे बालों, गेहुंआ रंग जैसे स्वर्ण की काया, 

उस पर धानी रंग की साड़ी किसी देवी के समान प्रतीत होती थी... कुछ हड़बड़ा कर मैंने कहा वो..वो..आंटी हम 

दोस्त गली में खेल रहे थे तो बोल आपकी बालकनी में चली गई है. प्लीज आप उसे दे दीजिए आगे से ऐसा नहीं 

होगा...सॉरी आंटी.


Beutiful-lekha-aunt-in-orange-saree


आंटी- (वह खिलखिला कर हंस पड़ी) अरे! कोई बात नहीं बेटा अभी लेकर आती हूं. आओ, अंदर आओ... कहां 

            पर आई है बॉल?.

मैं- जी.... वो.... आपकी बालकनी में...

आंटी- ओहो! मैं अभी लाती हूं. तुम यहां बैठो. 

             कहकर वह बॉल लेने चली गई मैं उनके कमरे को देखने लगी. सब कुछ करीने से रखा हुआ था. टेबल पर 

एक फोटो थी, शादी की लगती थी. एक फ्लावर वास था, जिसमें ताजे फूल रखे हुए थे. कमरे में एक प्यारी-सी भीनी 

खुशबू आ रही थी. इतने में वह बाल लेकर वापस आ गई. ओह! तो ये खुशबू उनके बालों में लगे मोगरे के गजरे की 

है.

आंटी- (बॉल देते हुए)तुम्हारा नाम क्या है?

मैं- जी... अंजली

आंटी- बहुत प्यारा नाम है, मेरा नाम लेखा है. तुम कभी-कभी यहां मुझसे मिलने आ सकती हो. 

Anjali-with-ball-in-victory-pose


             मुझे दो बिस्किट दिए और मैंने थैंक यू कह कर बॉल ले ली. जब मैं  बाहर आई सभी दोस्तों की निगाहें मुझ 

पर थी टिकी थी. प्रश्न नेत्रों से वह मुझे घूर रहे थे और मैं एक विजयी मुस्कान के साथ उनके हाथ में बॉल देते हुए 

बोली... ये आंटी बहुत क्यूट है.

इस तरह कभी-कभी उनके घर मेरा आना-जाना होने लगा. वह मुझे बहुत प्यार करती थी.


विवाह के बंधन की लटकती तलवार | Hanging Sword of Marriage

               मैं दसवीं कक्षा में थी. लेखा आंटी ने मुझसे कहा कि अगर किसी सब्जेक्ट में दिक्कत हो तो मैं उनके पास 

आकर समझ सकती हूं. कभी-कभी मैं उनके पास अपने मैथ के सम लेकर पहुँच जाती थी. उनके बेटे विहान और 

आयुष तब 5 और 3 साल के थे. बहुत चंचल स्वभाव था उनका. मुझे उनके साथ खेलने में बहुत मजा आता था 

उनकी तोतली जुबान से दीदी-दीदी सुनने में एक अलग ही आनंद की अनुभूति होती थी.


Anjali-playing-with-vihaan-&-aayush


            अब ग्रेजुएशन में पढ़ाई से कुछ ज्यादा समय ना मिलता था. कभी-कभी ही लेखा आंटी के घर जाना हो 

पाता था. वह भी कुछ खास अवसरों या त्योहारों पर. 

            पढ़ाई खत्म होते ही शादी का प्रेशर सर पर आ गया. हर बात घूम-फिर कर घर में मेरी शादी पर आ जाती 

थी. मैं एक-दो साल जॉब करना चाहती ही. पर मम्मी वह तो किसी हाल में राजी ही नहीं होती थी. मोर्चा खोले बैठीं 

थी 'अंजली की शादी जल्दी करो'. 

                  दिवाली के अवसर पर लेखा आंटी के घर मिठाई देने जाना हुआ तो उन्होंने हालचाल पूछा. मैंने अपनी 

परेशानी बता दी. उन्होंने मुझे आश्वासन दिया कि इस बारे में वे मम्मी से बात करेंगी. इसी बीच विहान और आयुष 

के बारे में मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि पढ़ाई अभी टेंथ, ट्वेल्थ की चल रही है तो दोनों का फोकस उसी पर है. 

मैंने उनके रिजल्ट की शुभकामनाएं देखकर आंटी से विदा ली.

               आंटी के समझाने पर मम्मी एक-दो साल रुकने को तैयार तो हो गई, पर यह सब ज्यादा दिन तक नहीं 

चल सका. यह ब्रह्मास्त्र भी मम्मी की जिद के बांध को ज्यादा दिन तक रोककर नहीं रख सका. मेरी आजादी चंद 

दिनों की थी. इस अल्हड़, उन्मुक्त पंछी की आज़ादी की डोर को जल्दी ही एक बंधन में बांध दिया गया.... और 

बहुत-सी नसीहतों, शुभकामनाओं के साथ मायके से मैं विदा हो गई. 

Anjali-looking-happy-with-hubby


             ईश्वर की कृपा से ससुराल बहुत अच्छा मिला था. मेरी अपनी एक स्पेस, पहचान थी घर में. अपने स्वभाव 

से जल्दी ही सबका मन जीत लिया  मैंने. ससुर जी, सासू मां, देवरजी और नन्द सभी बहुत अच्छे थे... पॉजिटिव 

माहौल था. 

                मम्मी के यहां जब भी आती तो लेखा आंटी के यहां मिलने जरूर जाती थी और अपने ससुराल के किस्से 

कहानियों की बकबक से उनको खूब हंसाती. वो मेरे लिए खुश थी. उन्होंने बताया कि विहान भी अब जॉब करने 

लगा है.. विहान आईटी सेक्टर में है और आयुष ने एक कंसल्टेंसी फॉर्म ज्वाइन कर ली है. एक बेंगलुरु में है तो एक 

कोटा में. 

                अंकल-आंटी एक बार  फिर से इतने बड़े घर में अकेले हो गए. कॉल पर बात होती है बस इसी से खुद  

को तसल्ली देते कि बच्चों का करियर सेट हो गया अब दोनों की शादी के लिए सोचना हैं.


विचारों की हलचल | Movement of Thoughts

           इसके बाद मेरा आंटी से मिलना लंबे समय के बाद ही हो पाया. इस बार जब मैं मिली तो वह काफी उदास 

लग रही थी. लगता था मानो देह में कोई जान ना हो, सेहत कुछ बिगड़ती-सी मालूम होती थी. पूछने पर बताया की 

विहान  यूएस में सेटल है और आयुष कोटा में. विहान का कुछ दिन पहले कॉल आया था जिसमें उसने बताया कि 

उसने वहां  शादी कर ली है.... पर आगे यह भी कहा... कि आप लोग चिंता ना करें लड़की भारतीय है और मैं जल्दी 

ही उसे आपसे मिलवाने लाऊंगा. तब से राजन भी कुछ उदास से हो गए हैं. उन्हें बहुत उम्मीदें थी विहान से... वे 

सोचते थे विहान सिर्फ कैरियर बनाने विदेश गया है. जाने से पहले उसने कहा भी था कि वह वापिस इंडिया आकर 

ही सेटल होगा और यहीं अपनी लाइफ बनाएगा. पर अब सब कुछ टूटा-सा लगता है.मैंने आंटी को सांत्वना दी और 

मन में कई विचारों की हलचल लिए वापस आ गई.


Anjali-thinking-about-lekha-aunt


 बहुत से प्रश्न थे मन में 

* क्या विहान वापस आएगा?...

* क्या विहान भारत में फैमिली के साथ सेटल होगा?...

* क्या आगे चलकर विहान का सहारा अंकल आंटी को मिल पाएगा?...

* क्या आयुष भी अपनी एक अलग दुनियां तो नहीं बसा लेगा?... 

* क्या अंकल-आंटी का बुढ़ापा बच्चों के साथ होगा?...जिसके लिए उन्होंने सारी जिंदगी तपस्या की.... 

* क्या वे दोनों इस खबर से संभल पाएंगे?...


इन सभी प्रश्नों के उत्तर आपको अगले अंक में मिलेंगे तब तक के लिए प्रतीक्षा कीजिए.. 

अन्य भी पढ़ें-

 रिटायर- भाग 2 (कहानी)





आज का यह अंक आपको कैसा लगा?...

  यदि आपके जीवन की किसी घटना, किसी पहलू के अनकहे पक्ष से यह कहानी (this imotional story) सरोकार कर पाई है...

किसी अनछुई कोमलांगना परछाई को छू सकी है तो मैं समझूंगी कि मेरे इस कहानी लेखन  (story writing) का प्रयास सफल रहा...
 
कहानी का दूसरा भाग लेकर जल्दी ही आप सबके समक्ष प्रस्तुत होऊँगी तब तक के लिए नमस्कार🙏

आप कहां तक इस रचना में मेरे  उपरोक्त वक्तव्यों से जुड़ पाए... मुझे कमेंट कर बताएं ताकि मैं इसी प्रकार 

की और रचनाएं आप तक पहुंचा सकूं...

अगर आप इस से संबंधित कोई विचार मुझसे सांझा करना करना चाहते है, तो आपका स्वागत है...☺️



         
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