लाइफ आफ्टर लॉकडाउन
इस कोरोना वायरस की वैश्विक महामारी ने देश की इतनी बड़ी जनसंख्या को घर में रहने पर मजबूर कर दिया। वैसे भारत का सामाजिक वातावरण कुछ ऐसा है कि लोग बहुत सोशल होते है। मिलना-जुलना, खाना-पीना,
एक दूसरे के घर जाना, वीकेंड में कुछ अलग प्लान बनाना आदि यहां की जीवनशैली का हिस्सा है।
देश में लॉकडाउन को 3 महीनें ंं हो गए। हालांकि कुछ ढील दी गई है और कुछ एहतियात के साथ जीवन
फिर पटरी पर लौट रहा है।
आइए जानते हैं लोगों की लाइफ स्टाइल में क्या- क्या बदलाव हुए हैं-
1. हेल्दी लाइफ स्टाइल - जहां एक ओर कोरोना का संकट है, वहीं दूसरी ओर एक अच्छी बात यह भी दिख रही
है कि लोग हेल्दी लाइफ स्टाइल के कारण कम बीमार पड़ रहे हैं। लोग बाहर का फास्ट फूड ना खाकर, घर पर
बनें खाने को तरजीह दे रहे हैं। व्यक्तिगत साफ- सफाई का अधिक ध्यान देकर कई प्रकार की बीमारियों से
स्वयं को बचा रहे हैं।
2. परिवार के साथ समय बिताना - भाग-दौड़ की जिस रेस में हम लगे थे। परिवार के साथ बैठकर क्वालिटी
टाइम बिताए जमाना हो गया था। इस लॉकडाउन के कारण जहां जीवन रुक सा गया, वहीं इसका दूसरा पहलू
देखें तो इसने हमें वो समय दिया जिससे "वर्क फ्रॉम होम'' करके हम परिवार को भी समय दे पा रहे हैं।
3. ओटीटी प्लेटफार्म बना होम थिएटर - लॉकडाउन के चलते लोग घरों में है और जमकर ओटीटी प्लेटफार्म
का प्रयोग कर रहे हैं। इस कारण नेटफ्लिक्स की कमाई के साथ - साथ उसके सब्सक्राइबर में भी वृद्धि दर्ज की
गई है। रिपोर्ट के अनुसार साल 2020 की पहली तिमाही में नेटफ्लिक्स के सब्सक्राइबर्स की संख्या में लगभग
1.6 करोड़ की वृद्धि दर्ज हुई है और केवल नेटफ्लिक्स ही क्यों?... इस तरह के अन्य ओटीटी प्लेटफार्म जैसे-
जी5, हॉटस्टार और अमेजन प्राइम के सब्सक्राइबर भी बढ़े हैं।
4. इमर्मेजेन्सी फंड - जो लोग अपनी सेविंग्स पर बिल्कुल ध्यान नहीं देते थे, वे भी अब कोरोना के कारण
लॉकडाउन में इसकी एहमियत को समझने लगे और इस ओर ध्यान दें रहे हैं।
5. हेल्थ इंश्योरेंस - किसी भी बीमारी से निपटने के लिए पैसों की जरूरत पड़ती है। इसीलिए कोरोनाकाल में हेल्थ
इंश्योरेंस लेने वालों की संख्या में 20% की बढ़ोतरी हुई है।
6. मितव्ययता - जो लोग पहले अपनी हर छोटी-छोटी जरूरतों के लिए दुकान जाते थे या ऑनलाइन ऑर्डर
करते थे, वे अब ये समझ चुके है कि कम में भी गुजारा किया जा सकता है। जिससे सेविंग्स भी बढ़ाई जा सकती
है।
7. प्रदूषण से राहत - राजधानी दिल्ली की ही बात करें तो प्रदूषण के स्तर में काफी हद तक कमी आई है। देश
की प्रमुख नदियों का प्रदूषण कम हुआ है। यह कहना ग़लत नहीं होगा कि प्रकृति ने इस समय को खुद को
heal करने में लगाया।
8. डिजिटल पेमेंट बढ़ा - लोग अपने बिल्स का भुगतान करने के लिए डिजिटल पेमेंट करने लगे हैं। जिन्हें इसे
प्रयोग करने में दिक्कत आ रही थी, उन्होंने भी इसे सीखा हैं। Hygiene के नज़रिए से भी देखा जिसे तो लोग
अब पेमेंट के इस माध्यम को तरजीह दे रहे हैं।
अपनी बात को आप तक इस कविता द्वारा पहुंचाना चाहूंगी.....
लॉकडाउन से कुछ अच्छा हुआ है तो कुछ दिक्कतें भी बढ़ी है -
1. सलून- पार्लर बंद होने से हेयर कट की समस्या - लड़के सलून नहीं जा पा रहे, लड़कियां पार्लर नहीं जा पा
रही लड़कों की बात की जाए तो उनके दाढ़ी-मूंछ बढ़ गए हैं। लड़कियां मैनीक्योर, पैडीक्योर, फेशियल के
नुस्खों को घर पर ही आजमा रही हैं।
2. निचला तबका - यहां पर मैं बात उन दिहाड़ी मजदूर, रेहड़ी- पटरी वाले, ऑटो चालक आदि की कर रही हूं,
जिनकी आमदनी का जरिया ना के बराबर रह गया है। उन्हें परिवार का जीवन- यापन करने में खासी दिक्कतें
आ रही हैैं। उनके अपने घर तो है नहीं! इसलिए या तो वे पलायन कर रहे हैं या व्यवसाय बदल रहे हैं।
3. किराएदार - लॉकडाउन में 50% नौकरियां चली गई है। किराएदार किराया नहीं दे पा रहे, जो दुकान किराए
पर लेकर व्यवसाय कर रहे थे, उनका निर्वाह करना मुश्किल हो रहा है। देश आर्थिक संकट से गुजर रहा है पर
उम्मीद का दामन अभी छूटा नहीं है.....
चीजें बेहतर होंगी.....
✍मेरी राय-
अच्छी-बुरी चीजें हर जगह है। बुरे समय में भी यदि हम संभावनाओं को तलाशें तो यह काफी
सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है। 🍷 गिलास को आधा खाली देखने की बजाय, आधा भरा देखें और
नए अवसरों को तलाशनें का प्रयास करें.... चीजें जरूर बेहतर होंगी!
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आपको मेरा ये लेख कैसा लगा? ..... अगर आप इस से संबंधित कोई विचार मुझसे सांझा करना चाहते हैं तो
आपका स्वागत है......😃
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