पेरेंटिंग टिप्स / Parenting Tips
घर में नवजात के आगमन की घड़ी बहुत अनमोल होती है। इसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। उसके
बाद बारी आती है उसकी परवरिश की। हर माता-पिता अपने बच्चे को अच्छी से अच्छी पेरेंटिंग और गाइडेंस देना
चाहते हैं। सही मायनों में पेरेंटिंग को मापने का कोई पैमाना नहीं है।
स्कूल भेज ही देती है। पर एक दिन तो जैसे विराज ने जिद ही ठान ली, तब रमा ने उससे विस्तार से बात की तो
विराज ने बताया की उसकी क्लास टीचर का रवैया विराज के प्रति और अधिक रूखा होता जा रहा है। वह हमेशा
उसे किसी ना किसी बात पर punish करके क्लास के बाहर भेज देती है। हालांकि विराज एक मेधावी छात्र था
और अभी तक सभी टीचर उसकी बढ़ाई करती थी पर इस क्लास में आते ही न जाने क्या हुआ?...
रमा जिसे छोटी सी बात समझ रही थी दरअसल वो इतनी छोटी नहीं थी पर उसने सोचा यदि वह टीचर से
शिकायत करती है तो उसका रवैया विराज के प्रति और बुरा ना हो जाए, स्थिति और बिगड़ ना जाए......। उसे
समझ नहीं आ रहा था क्या करें अरुण के ऑफिस से आने के बाद उसने इस विषय में बात की। अरुण ने पूरी बात
को ध्यान से सुना और कहा 2 दिन बाद P.T.M. है तब टीचर से बात करते हैं । P.T.M. में अरुण ने टीचर से बात
करते हुए केवल एक लाइन बोली कि पता नहीं क्यों मुझे ऐसा लगता है कि शायद विराज आपसे कनेक्ट नहीं कर पा रहा है, सो प्लीज आप एक बार इस विषय पर ध्यान दीजिएगा। उसके बाद से विराज में बदलाव दिखने लगे अब वो खुशी-खुशी स्कूल जाता और उसके मार्क्स भी इंप्रूव हो रहे थे।"
तो इस घटना में हमने देख सकते हैं कि किस तरह अरुण ने स्थिति को संभाला।
इसी तरह कुछ बातों पर ध्यान देकर हम अपने बच्चों को सही परवरिश दे सकते हैं-
1. स्वयं में बदलाव करें - बच्चे सबसे ज्यादा अपने माता-पिता से सीखते हैं। यदि आप बच्चों में अच्छी आदतें
डालना चाहते हैं, तो पहले स्वयं उसे अपनाना होगा। जैसे - चीजों को सही जगह पर रखना, देर रात तक ना
जागना, मोबाइल का कम प्रयोग करना आदि।
2. अनावश्यक मांग - बच्चों से प्यार करना एक अलग बात है और उसकी हर डिमांड को पूरा करना एक अलग
बात है। कुछ माता-पिता अपने अपना प्यार बच्चे की मांग पूरी कर के दिखाते हैं जो सही नहीं है। यदि हम बच्चे से
प्यार करते हैं तो वही देना चाहिए, जो उसके लिए सही और जरूरी है।
3. बच्चे के प्यार से समझाएं - बच्चा यदि जिद करे, नखरा दिखाए,अपनी बात पूरी करवाने के लिए चिल्लाए या
रोए तो बजाय तेज आवाज में उसे गुस्सा करने के, आप उसे प्यार से, शांत तरीके से समझाएं कि यह उसके लिए
सही नहीं है।
4. बच्चे में अनुशासन की आदत डालें - अनुशासन परवरिश का अभिन्न अंग है। बच्चे को डरा कर, डांट कर
अनुशासित करना सही नहीं है। जबकि छोटे-छोटे रूटीन चेंजेज करके इसकी आदत डाली जा सकती है। जैसे सुबह उठकर ब्रश करना, नहाना, किसी के घर पर आने पर greet करना आदि।
5. बातचीत करते रहे - बच्चे से किसी भी विषय पर बातचीत कर उसे अपने विचार बताएं और उसकी भी राय लें ।
ऐसा करने से बच्चा आपको और घर की परिस्थितियों को समझने लगेगा और आप दोनों की आपसी समझ
विकसित होगी।
6. बच्चों को समय दें - आजकल अधिकांश माता-पिता दोनों वर्किंग होने के कारण बच्चों को अधिक समय नहीं दे
पाते। बच्चों के सही विकास के लिए उन्हें अधिक समय देने की कोशिश करें तथा जो भी टाइम दे कोशिश करें कि
वह क्वालिटी टाइम हो।
7. बच्चों के दोस्त बने- बच्चों पर हुक्म चलाने की अपेक्षा उनके दोस्त बनने का प्रयास करें। ऐसा करने से बच्चा
बेझिझक आपसे अपनी हर बात परेशानी शेयर कर पाएगा।
8. खुद फैसला लेने दे - कुछ पेरेंट्स को लगता है बच्चा अपना सही गलत नहीं समझ सकता। इसलिए उन्हें
अपनी मर्जी से फैसला लेने नहीं देते लेकिन वे यह नहीं जानते कि इससे बच्चे की निर्णय लेने की क्षमता पर असर
पड़ेगा।अतः बच्चों को उनके छोटे-छोटे फैसले लेने की आदत बचपन से ही डालनी चाहिए।
9. तुलना ना करें - हर बच्चा अलग होता है। कोई पढ़ाई में आगे होगा तो कोई खेलों में। इसलिए अपने बच्चे की
तुलना अन्य बच्चों से ना करें। इससे उसका आत्मविश्वास कमजोर होता है।
10. बाहर का गुस्सा उन पर ना निकाले - आज तनाव भरे माहौल में हर एक के जीवन में समस्याएं हैं। कभी-
कभी पेरेंट्स ऑफिस का गुस्सा या किसी और बात की खीझ बच्चों पर निकाल देते हैं। बच्चों में अच्छी आदत
डालने के लिए हमें उनसे बात करते हुए अपनी दूसरी समस्याओं और गुस्से को अलग रखना चाहिए।
11. लालच ना दे - बच्चे को लालच देकर काम कराने या बात मनवाने की आदत ना डालें क्योंकि इससे बाद में
बच्चा सही बर्ताव करने के बदले अपनी डिमांड मनवाने की कोशिश करेगा।
12. पब्लिक में गुस्सा ना करे - कभी-कभी माता-पिता पब्लिक प्लेस जैसे - मॉल पार्क में ही बच्चे को डांटने लगते
हैं। ऐसे में बच्चा आपकी बात ना सुनकर आसपास के लोग क्या सोच रहे होंगे पर ध्यान देने लगता है। इसलिए
हमेशा उसके व्यवहार के बारे में एकांत में बात करें ताकि वह अपने बुरे बर्ताव को छोड़ सके।
✍ मेरी राय
माता-पिता बनना एक सुखद एहसास है। बच्चे के साथ रात भर जागना पड़ता है। उसकी नींद के हिसाब से सोना
और उसी के अनुसार उठना पड़ता है। जो पहली बार पेरेंट्स बने हैं वे मेरी बात को समझ रहे होंगे। बच्चों को
अच्छी परवरिश देना सबसे चुनौतीपूर्ण काम है और इसके लिए कोई फुलप्रूफ प्लान नहीं है।
इसलिए उपरोक्त बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए अपने दिल की सुनिए। अपने बच्चे से रिश्ते को मजबूत बनाइए
ताकि भविष्य में किसी भी परेशानी में आने पर वह बजाय यहां वहां हल ढूंढने के आपके पास आए। उसके मन में
विश्वास रहे कि आप हो.... ! उसके लिए.....! उसके माता पिता..... ! हमेशा उसके साथ।
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