अयोध्या में राम मंदिर
भूमि पूजन
इस समय अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की खबर से पूरा देश उत्साहित है। हर जनमानस के मन में एक
खुशी की लहर दौड़ रही है। 5 अगस्त एक ऐतिहासिक दिन बनने जा रहा है। आइए जानते हैं इस दिन की
हलचलों को-
⭐भूमि पूजन में आठ हजार पवित्र स्थलों की मिट्टी, जल और रजकण का उपयोग
भूमि पूजन में देशभर के लगभग आठ हजार पवित्र स्थलों की मिट्टी, जल और रजकण का उपयोग
किया जाएगा।
श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने कहा कि "मिट्टी और जल एकत्र करने का कार्यक्रम
राष्ट्रीय एकता एवं सामाजिक समरसता को मजबूत बनाने का अनूठा उदाहरण है।"
उन्होंने यह भी बताया जब वे झारखंड के आदिवासी समाज के प्रमुख पूजास्थल से मिट्टी लेने गए तो आदिवासी
समाज का उत्साह देखने योग्य था। उन्होंने कहा कि "राम और सीता तो हमारे भी हैं। तभी तो राम और सीता
माता शबरी कुटिया में पधारे और जूठे बेर खाए थे।"
⭐शुभ मुहूर्त
राम जन्मभूमि अयोध्या में रामलला मंदिर के निर्माण की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। पहले पीएम
हनुमानगढ़ी दर्शन करने जाएंगे। फिर भूमिपूजन होगा। शुभ मुहूर्त दोपहर 12:30 बजे है। कार्यक्रम दोपहर
2:00 बजे तक चलेगा राम मंदिर भूमि पूजन के लिए प्रधानमंत्री मोदी जी के साथ स्टेज पर चार अन्य लोग
रहेंगे। यह लोग होंगे आरएसएस के मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ,मुख्यमंत्री
योगीआदित्यनाथ और महंत नृत्य गोपाल दास जी।
⭐उमा भारती भूमि पूजन में नहीं होंगी शामिल
राम जन्मभूमि के भूमि पूजन की तैयारी पूरे जोर-शोर से चल रही है इसी बीच भारतीय जनता पार्टी की
नेता उमा भारती ने tweet कर कहा है कि गृह मंत्री अमित शाह के कोविड पॉजिटिव आने की खबर के कारण
वे भूमि पूजन कार्यक्रम में शामिल होने अयोध्या तो आएंगी परंतु मंदिर स्थल पर ना रहकर सरयू नदी के तट
पर रहेंगी।
⭐भूमि पूजन के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष और बाबरी मस्जिद के पत्रकार को न्योता
अयोध्या में 5 अगस्त को राम मंदिर भूमि पूजन के कार्यक्रम मैं सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जफर
फारुखी, अयोध्या के समाजसेवी पद्मश्री मोहम्मद शरीफ, बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी के
नाम आमंत्रित लोगों की सूची में शामिल है। यह मंच सोहर्द्र भाव का भी एक अनूठा संगम प्रस्तुत करेगा।
⭐राम मंदिर के लिए बुजुर्ग महिला ने 28 साल से नहीं खाया अन्न , 5 अगस्त को तोड़ेगी व्रत
अयोध्या में राम मंदिर की नींव पड़ते ही मध्य प्रदेश के जबलपुर की 81 वर्षीय उर्मिला देवी की तपस्या
पूरी हो जाएगी। दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा ढह जाने के बाद दंगे हुए थे, तब उन्होंने संकल्प लिया था कि
राम मंदिर की नींव रखे जाने तक वे अन्न ग्रहण नहीं करेंगी।वह पिछले 28 सालों से फलाहार कर राम नाम का
जाप करते हुए उपवास पर हैं। पहले लोगों ने उपवास तोड़ने के लिए बहुत समझाया था परंतु वे नहीं मानी।
मंदिर के पक्ष में फैसला आने पर वे बहुत खुश हुई तथा पीएम को पत्र भेजकर बधाई दी।
⭐अयोध्या का रेलवे स्टेशन मॉडल
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए शिलान्यास किया जाना है। इसे लेेकर हर स्तर पर तैयारियां तेज
कर दी गई है। इसके अलावा राम नगरी के रेलवे स्टेशन का रंंग - रूप बदलने का पूरा मॉडल तैयार है। यह
स्टेशन राम मंदिर की तर्ज पर मंदिर के रूप में तैयार किया जाएगा यह अत्याधुनिक सुविधाओं से लेस होगा।
⭐दृष्टिकोण
अयोध्या में राममंदिर निर्माण का कार्य भूमि पूजन के द्वारा आज शुरू होगा। सभी उत्साहित है मुख्यत:
हिंदू वर्ग जो वर्षों से सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की ओर उम्मीद लगाए बैठा था।
लगभग हर राजनीतिक पार्टी ने इसे मुद्दा बनाया। इसे अपने वोट बैंक में बदलना चाहा। अपनी राजनीतिक
रोटियां सेकने में कोई कसर न छोड़ी। पर वहीं एक आम वर्ग भी था जिसे आज भी उम्मीद थी कि फैसला
राममंदिर के पक्ष में आएगा।
एक तरफ तथाकथित पार्टी के एक नेता का अपनी ही पार्टी के लिए यह ट्वीट आया कि "इसमें मोदी जी का कोई
हाथ नहीं है"..........बहरहाल यह उनका अंदरूनी मामला है।
या शायद आज के परिवेश की कुछ समसामयिक परिस्थितियां ही कुछ ऐसी थी, इस फैसले के लिए.... !
चलिए हम इससे आगे बढ़ते हैं ...
⭐मेरे राम
हर वर्ग ने कहा कि राम मेरे हैं।पर क्या सच में हमने राम से कुछ लिया?...
राम स्वयं में एक पाठशाला से कम नहीं। उनका हर गुण ग्रहण करने योग्य है पर हम अपनी सुविधाओं के
अनुसार इस बात को मानते है कि जो हो सका हमसे अच्छा है और जो ना हुआ वह मनुष्य के बस की नहीं।
उन्होंने किया क्योंकि वे ईश्वर थे, परंतु हम तो तुच्छ मानव है। क्या सच में ऐसा है?....
राम ने इस धरती पर मर्यादा पुरुषोत्तम अवतार लिया। वे चाहते तो महलों में रह सकते थे परंतु उन्होंने जंगल
का वरन् किया। यदि वे महलों में रहते तो क्या मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाते?...
वे सराहनीय है क्योंकि वे वन में गए। उन्होंने हर उस छोटे वर्ग से संबंध रखा जो हमारे समाज में पिछड़ा
माना जाता है। समाज में समरसता लाने का प्रयास किया। सही शब्दों में वे सबसे पहले कम्युनिस्ट थे। गांधी जी
ने सादगी, शीलता सीखी उनसे तब वे गांधी बने, बुद्ध ने घर छोड़ा सत्य की खोज की तब वे बुद्ध बने अन्यथा वे
सिद्धार्थ रह जाते। हम डार्विन के सिद्धांत पढ़ते हैं कि मनुष्य ने कैसे विकास किया। क्या हमने अपना मानव
इतिहास देखा है?... यदि देखते तो स्वयं पर गर्व करते कि हम आर्य है(चाहे वह कोई भी धर्म, पंत हो)। क्या हम
अपने ग्रंथ पढ़ते हैं?.... जो पथ प्रदर्शक का कार्य करते हैं हमने मैकाले को माना अपने गुरुकुल छोड़ दिए हमारी
संस्कृति छोड़ दी जिसमें हमारी जड़े समाहित थी। हमें स्वयं पर गर्व करना चाहिए कि हम उन वीरों की संतान है
जिन्होंने अपने एकवचन के लिए बिना कुछ सोचे सभी सुविधाओं को छोड़ दिया।
आज के समय में पढ़ने के लिए यदि कोई तर्कसंगत विषय है, तो वो राम है। हम थोड़ा-थोड़ा ही सही पर
बहुत कुछ सीख सकते हैं। हम अपने हिस्से के थोड़े से राम को स्वयं में सत कर सकते हैं।
मैं अपने शब्दों को एक काव्य के माध्यम से आप तक पहुंचाना चाहूँगी -
👉 मेरे राम- हिन्दी कविता
⭐मेरे विचार-
राम पर चर्चा करना तभी सफल हो पाएगा, जब हम उनसे कुछ सीख लें और अपने जीवन में उसे ग्रहण
करें।
आपको मेरा ये लेख कैसा लगा ?... अगर आप इस से संबंधित कोई विचार मुझसे साझा करना करना चाहते
है, तो आपका स्वागत है...☺️
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